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लघुविद्यानुवाद
कृतपादपद्माः । कुलिशनाल रजत मृणालमन्दारकरिणकारातिकुलगिरिशिखरशेखरगगन मन्दाकिनीमहाह्रदनदनदीशतसहस्रदलकमलवासिन्यादि सर्वाभरणभूषिताड् गसकलसुन्दरीवृन्दवन्दित-चारुचरणकमलयुगला. ।। आमौषधय.। श्वेलौषधय जल्लोषधाय विषौषधय । सवौं षधयश्च व प्रीयन्ताम् २ ।। मतिस्मृति सज्ञाचिन्ताभिनिबोधज्ञानिनश्च व प्रीयन्ताम् २ ।।
___ॐ ह्री अर्ह णमो जिणाण ह्रा ही ह्र हो ह असि आउसा अप्रति चक्रे फट विचक्राय झौ झौ स्वाहा ॐ ह्री अर्ह णमो ओहि जिणाण सिरो रोग विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो परमोहि जिणाण नासिका रोग विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो सव्वोहि जिणाण अक्षिरोग विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो अणतोहि जिणाण कर्ण रोग विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो कुट्ठ बुद्धीणममात्मनि विवेकज्ञान कुरू २ शुल उदर गड गुमड विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो बीज बुद्धीण मम सर्व ज्ञान कुरू २ श्वास हेडकी रोग विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो पादाणु सारीण परस्पर विरोध विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो सभिन्न सौदराण श्वास कास रोग विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमोसय बुद्धिण कवित्व पाडित्व च कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो पत्तय बुद्धिण प्रतिवादी विद्या विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो बोहिय बुद्धिण अन्य गृहीत श्रुत ज्ञान कुरू २ ॐ ह्री यह णमो ऋजुमदीण बहु श्रु त ज्ञान कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो विउल मदीण सर्व शाति कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो दश पुवीण सर्व वेदिनो भवतु ॐ ह्री अर्ह णमो चउ दस पुवीण स्व समय परसमय वेदिनो भवतु ॐ ह्री अर्ह णमो अट्ठाङ्ग महाणिमित कुसलाण जीवित मरणादि ज्ञान कुरू २ ॐ ह्री णमो वियण यट्ठि पत्ताण कामित वस्तु प्राप्ति भवतु ॐ ह्री अर्ह णमो विज्जा हराण उपदेश प्रदेश मात्र ज्ञान कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो चारणाणनष्ट पदार्थ चिता ज्ञान कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमोपण्ण समणाण आयुष्यावसान ज्ञान कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो आगासगामीण अतरिक्ष गमन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह गमो पासीविसाण विद्वेष प्रति हत भवतु ॐ ह्री अर्ह णमो दिदि विसाण स्थावर जगम कृत विघ्न विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो उग्ग तवाण वचस्तम्भरण कुरू २ ॐ ह्री अह रणमो दित्त तवाण सेना स्तम्भन कुरू २ ॐ ह्री ग्रह णमो तत्तवाण अग्नि स्तम्भन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो महा तवाण जलस्तम्भन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो घोर तवाण विषरोगादि विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो घोर गुणाण दुष्ट मृगादि भय विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अह णमो घोर गुण पर कमाण लता गर्भादि भय विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो घोर गुण वम्भ चारीण भूतप्रेता दिभय विनासन भवतु ॐ ह्री अर्ह णमो विपो सहि पत्ताण जन्मान्तर देव वर विनाशन कुरू २ ॐ ह्री अर्ह णमो खिल्लो सहिपत्ताण सर्वाप मृत्यु विनाशन कुरू