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________________ लघुविद्यानुवाद १६७ विधि :-नित्य वार १०८ जपे दोनो समय लाभ होय । मन्त्र :--ॐ ह्रीं कलिकुंड स्वामिन् आगच्छ २ अात्म मंत्रान रक्ष रक्ष पर मंत्रान छिद छिद मम सर्व समीहितं कुरु कुरु हुं फट् स्वाहा । विधि :-ये मन्त्र १२००० जपे श्वेत तथा रकत पुष्पे । सर्व सम्पदा प्राप्त होय । मन्त्र :-ॐ नमों वृषभनाथाय मृत्यु जयाय सर्व जीव शरणाय, परम त्रयी पुरुषाय, चतुर्वेदाननाय अष्टादश दोष रहिताय, श्री समवशरणे द्वादश परीषह वेष्टिताय ग्रह, नाग भूत, यक्ष भूत, राक्षस सर्व शान्ति कराय स्वाहा । सर्व शान्ति कर मन्त्रोऽयम् मन्त्र :-ॐ कर्ण पिशाचिनी देवी अमांध वागीश्वरी, सत्यवादिनी, सत्यं ब्रू हि २ यत्वं चितेसि सप्त समुद्राभ्यंतरे वर्तते तत्सर्व मम कर्णे निवेदय २ ॐ वोषट् स्वाहा। विधि :-जाप १००० करे, जल मध्ये होम १००८ शुभा शुभ कथयति । मन्त्र :-ॐ रक्तोत्पल धारिणी मझ हाजर रिपु विध्वंशनी सदा सप्त समुद्राभ्यंतरे पद्मावती तत्सर्व मम कर्णे कथय । शीघ्र शब्दं कुरु कुरु ॐ ह्री ह्रां ह्र कर्ण पिशाचिनी के स्वाहा। विधि :-सहस्त्र जाप होम १०८ पश्चात्सिद्धि । गोरोचन कल्प मन्त्र :-ॐ ह्री हन ३ ॐ ह्रीं दहे दहे ॐ ह्रीं हन् हनां ॐ हन् २ ॐ ह्रीं हः हः स्वाहा। विधि -इस मन्त्र से गोरोचन २१ बार मन्त्रित कर माथे पर तिलक करे तो राज दरबार मे विवाद मे वशीकरण होता है। रोगी मनुष्य हृदय पर तिलक करे तो स्त्री वश होय । वाहै तिलक करे तो व्याघ्र चिता वश होय। गर्दन पर तिलक करे तो सप वशी होय । पग (पैर) मे तिलक करे तो चौरादिक वश होय । अगूठे मे तिलक करे तो सर्व विद्या सिद्धि होय । जीभ मे तिलक करे तो कवि पडित विद्वान होता है। मन्त्र :---ॐ नमों काली वया कुशा की प्राणै जो अमुका कीखिसै कव ही देवी कालि की प्राण ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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