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________________ लघुविद्यानुवाद १७७ मन्त्र :-ॐ नमो आदि योगिनी परम माया महादेवी शत्रु टालनी दैत्य मारनी मन वांछित पूरणी धन वृद्धि मान वृद्धि प्रान जस सौभाग्य प्रान न प्रानै तौ प्रादि भैरवी तेरी प्राज्ञा न फुटै गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुटो मन्त्र ईश्वरो वाचा। विधि :-मन्त्र जपे निरन्तर १०८ बार विधिपूर्वक लक्ष्मी की प्राप्ति होय। सर्व कार्य सिद्धि होय । बार २१-१०८ चोखा मन्त्र जिस वस्तु मे राखे तो अक्षय होय । मन्त्र :-ॐ नमो गोमय स्वामी भगवऊ ऋद्धि समो वृद्धि समो अक्खीरण समो पारण २ भरि २ पुरि २ कुरु कुरु ठः ठः ठः स्वाहा । विधि .-मन्त्र जपे प्रात.काल शुद्ध होकर लक्ष्मी प्राप्त होय । बार २१-१०८ सुपारी चावल मन्त्रित कर जिस वस्तु मे घाले सो अक्षय होय । यह मन्त्र पढ कर दीप धूप, खेवे; भोजन वस्तु भण्डार मे अक्षय होय । उज्ज्वल वस्त्र के धारी शुद्ध आदमी भीतर जाय । मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः ॐ नमो भगवउ गोयमस्स सिद्धस्स बुद्धस्स अक्खीरणस्स भास्वरी ह्रीं नमः स्वाहा । विधि :--मन्त्र नित्य प्रात काले शुचिभूत्वा दीप धूप विद्यानेन जपे, लाभ होय, लक्ष्मी प्राप्त होय । मन्त्र :-ॐ नमो गोतम स्वामीने सर्व लब्धि सम्पन्नाय नमः अभीष्ट सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा। विधि :-बार १०८ प्रतिदिन जपिये, जय हो, कार्य सिद्ध होय । मन्त्र :-ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे महाविद्य स्वाहा । विधि :-फल अनेन मन्त्रेण लवण च पुष्पय धूलि च पृथक-पृथक एकविशति वारान् परिजप्य आतुरस्य पार्वती भ्रामयित्वा एकविशति वारान् परिजाप्य तक्रादिमध्ये स्थापयित्वा आतुर पल्यकस्याधो धारयेत् यथा २ लवण विलीयते तथा तथा दृष्टिदोषणे मुच्यते लवण मन्त्र दृष्ट प्रत्यय । मन्त्र :-ॐ अमृते अमृतोद्भवे अमृत वर्षिणी अमृतं स्रावय २ अमुकस्य सर्व दोषान स्त्रावय प्लावय स्वाहा ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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