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________________ ११६ लघु विद्यानुवाद मन्त्र :- ॐ डाऊ चेडा उन्मन मोखी बावन वीर चउसट्ठि योगिरि छिद २ दि २ ईसर कइत्रि सूलीहरण वंत कह खड्गि छिन्न २ हुं फट् स्वाहा । विधि :- वार २१ उ जनेन कर्ण मूलादि उपशाम्यति । • मन्त्र :- ॐ ह्रां ह्रीं ह्र सेयर घोडउ ब्राह्मणी कउ घोडउल कारे लागइ जकारे जाइ भूत बांधि प्र ेत बांधि राक्षस वांधि भेक्षस बांधि डाकिनी बांधि शाकिनी बांधि डाउ बांध वालउ बांधि लहुडउ गरुडु वडउ गरुडु श्रासति भेदु २ बांधिक बांध सकसु बांधि सकसु बांधि जइनें मेरउ वुतउ करहि परिग्रह स चक्र, भोडी घरि मारि बापु प्रचडं वीर नार स्यंध वीर की शक्ति धरी मारि बापु पूत प्रचंड सीह । विधि - इस मन्त्र को धूप मन्त्रित करके जलाने से और रोगी पर हाथ फेरने से भूतादि उपशमति । मन्त्र :- ॐ नमो अरहंताणं नमो सिद्धाणं नमो प्रांत जिरगाणां सिद्धयोग धाराणं सव्वेसि विज्जाहर पूत्ताणं कयैजलो इमं विज्जारायं पजामि इमामे विज्जापसिष्यउ र कालि बालकालि पुंस खररेउ श्रावतवो चडि स्वाहा । विधि - पृथ्वी पर सात ककर लेकर इस मन्त्र से २१ बार या १०८ बार मन्त्रित कर बिकने वाली दूकान की चीजो पर डाल देने से शोघ्र ही उस सामान की बिक्री हो जाती है। मन्त्र :- ॐ रहऊ नमो भगवऊ महइ महावर्द्ध मारण सामिस्सपरणय सुरासुर से हर वियलिय कुसुमुच्चिय कमस्स जस्स वर धम्म चक्कं दिrय रवि वं व भासुर छांय ते एग पज्जलं तं गच्छइ पुरऊ जिरिंगदस्स २ श्रायसं पायालं सयलं महिमंडलं पयासं तं मिछत मोह तिमिरं हरेइति एहं पिलोयाणं सलं भविते लुक् चितिय सितो करेइ सत्ताणं रक्खं रक्खस डाइरिण पिसाय गह जक्ख भूयागं लहइ विवाए वाए ववहारे भावउ सरं तोउ जुएय रणेरायं गरणेय विजयं विसुद्धप्पा | विधि - इस वर्द्धमान विद्या स्त्रोत का पाठ करने वाले के रोग शोक श्रापदा शात होती है । मन्त्र :---ॐ महादंडेन भारय २ स्फोटय २ प्रवेशय २ शीघ्र भंज २ चूरि २ स्फोटि २ इंद्र ज्वरं एका हिक्कं द्वयाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिदकं वेला ज्वरं
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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