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________________ १०२ लघु विद्यानुवाद खारस्य वासित्त जलेर लेपे सर्वमपि साड निवर्तयति, सुवर्ण माक्षिक केलरस पली हरियाल मरण सिल गन्धक निबु या रस पलि अभ्यगेनद भूत निवृति । मन्त्र :- ॐ हां श्रा को क्षां ह्री क्ली ब्लू ह्रां ह्री पद्मावती नम । विधि - इस मन्त्र को सफेद पुष्पो से १००८ बार दस दिन तक जपे तो सर्व सिद्धि करने वाला होता है । मन्त्र :- ॐ रक्त जट्ट रक्त रक्त मुकुट धारिणि परवेध संहारिणी उदलवेधवंती सल्लहारण विसल्लुचूरी फटु पूर्वहि प्राचार्य का प्राज्ञा हीं फट् स्वाहा । - इस मन्त्र का जप करने से परविद्या का छेदन होता है । विधि मन्त्र :- ॐ ह्रीं श्रीं हर हर स्वाहा । विधि - इस मन्त्र को ३ दिन मे १०८ पुष्पो से श्री पार्श्वनाथ भगवान के सामने जप करे तो सर्व सम्पदादिक होती है । तीनो दिन १०८ १०८ पुष्प होने चाहिये । मन्त्र — ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय पद्मावती सहिताय मिलि मिलि चिली चिली किली किली ह्रां ह्रीं क्रौ यां यां हंस हंस हू फट् स्वाहा । विधि - सर्व ज्वर नाशन मन्त्र ज्वरानतर देव कुल दर्शनायाह । - मन्त्र हिली हिली ह्रौं ह्रः क्रौ - ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय ह्री श्री ही नम ॐ तक्षकाय नम उत्कट विकट दाढा रुद्रा कराय नम हन हन दहि दहि पचि पचि सर्व ग्रहाणा बधि बधि भूताना राशि राशि ज्वालि ज्वालि प्रज्वालि प्रज्वालि शोषि शोषि भक्षि भक्षि य य ज्वलि ज्वलि प्रज्वल प्रज्वलि वायु वीरु ॐ नीलासूया कता प्राया का हु जारणइ आखु जागड पट्ठि परद्रद्वि माय बाप केरी द्रोट्ठि प्राडासी पाडासी की द्रोट्ठि नाट्ठ केरी द्रष्ट्ठि शिहरीउ मूल अजीर्ण व्याधि हणुमत तरणी लातभस माते हो जिउ ॐ वीर हनोवता अतुल बल पराक्रमा सर्वव्याधि छिनि छिनि भिनि भिनि त्राशय त्राशय नाशय नाशय त्रोटय त्रोटय स्फोटय स्फोटय बाघय बाधय बवइ बघेरण लकादहि तेरण हुणूए ह फट् स्वाहा । - इस मन्त्र को ७ बार जपने से व्याधि बध होती है । विधि मन्त्र हन हन दह दह पच पच मथ मथ त्रास सागी सत्वयारे वछ नाग न बोल घिमोर उपांग श्रावहु पुत श्राव सुरहु विचार हछि
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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