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लघुविद्यानुवाद
विधि :-राजकुल, देवकुल वा देवा गन्तु मिच्छता विद्याम् । परि जप्यपय पेय वक्त्र वाऽभ्यज्य गध
तैलेन । वद्ध्वा शिरसि शिखा वा सिद्धार्थान् वा स्वनिवसन प्राते । गन्तव्य, यत्रेष्ट सुभग
स्त्तत्रेति चन्द्रगज विद्या। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ मल्लिस्स सिज्झ (व्य)उ मे भगवइ महवइ महाविद्या
मल्लीसु मल्ली जय मल्लिपडि मल्लि ठः ठ ठः स्वाहा । विधि - इस मन्त्र से वस्त्र, माला, अलकारादिक मत्रित करके जिसको दिया जावेगा वह वश मे हो
जायेगा। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ मुरिणसुव्यस्स सिज्झ (ज्य )उ मे भगवइ महवइ
महाविज्जा सुव्वए महासुव्वए अणुव्वए महत्वए व एमइ ठः स्वाहा । विधि - व्याघ्र, चित्रक सिहादे कस्य चिन्मास भक्षिण । दग्धवा मास च केशिवा तद्रक्षा म्रक्षिता
ग.लि । यस्यनाम्ना जपेद् विद्यामिमामष्टोत्तर शतम् । सहस्त्र वास वश्य स्यादिति
सुव्रत विद्या॥ मन्त्र -ॐ नमो भगवऊ अरहऊ नमिस्स सिज्झ (ज्य ) उ मे भगवइ महवइ महाविद्या
अरे रहावत्त प्रावते वतेरिट्टनेमि स्वाहा । विधि -इस मत्र से सात बार फल, पुष्प वा अलकारादि मत्रित करके जिसको दिया जाय वह वश
मे हो जाता है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहरू अरिठ्ठनेमीस्स सिज्म (ज्य) उ मे भगवइ महवइ महा
विज्जा प्ररेरहावते पावत्रे वने रिट्टनेमि स्वाहा । विधि -हय गज रथ नाव साष्टशताभि मत्रितम् । आरोहेद् वाहनवश्य वैरी वा वशगो भवेत् । मन्त्र :--ॐ नमो भगवऊ अरहऊ पासस्स सिज्म (ज्य) उ से भगवइ महवइ महाविजा
उन सहाउने उग्रजसे पासे सुपासे एस्स मारिण स्वाहा । विधि -देश पुरग्रामादेः कोष्ठागारस्य धूप बलि कर्म । कार्य शिव च सरुजा शातिर्बहुधनम
पधनस्य । द्विपद चतुष्पद वाड भिमन्त्रणाद् वश्यमथधन निहितम् । सुप्रापयुधि विजयः
स्वार्थ कृति पार्श्व विधेय । मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ महइ महावीर वढमारण सामिस्स सिझस्सउ मे
भगवइ महवइ महाविज्या वीरे २ महावीरे सेरण वीरे जयंते अजिए अपराजिए
अरिगहए स्वाहा । विधि -सुवासान नया जप्तान् शिष्य मूर्ध्नि गुरु क्षिपेत् । स्वकार्य पारग स स्याटपविघ्न
मिहान्तिमा।