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लघुविद्यानुवाद
खेमवा भयवा नासवा डमरवा मारिवा भिक्खवा, सासयवा, असासयवा जयवा अन्नयरवा पडिलेहिऊ कामेण अप्पाण सत्त वार परिजवेऊण सोयव्व ज जपासइ सुमिणे तस्स फल
तारिस होइ। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ विमलस्स सिझ(प्य ) उ मे भगवइ महवइ महाविद्या
अमले २ विसले कमले निम्मले ठः ठः ठः स्वाहा । विधि -सप्ताभि मन्त्रित सुमै प्रतिमा स पूज्य तिष्ठति स्व कृते । तत्रस्थ पश्चयति य सत्यार्थ स
इति विमलजिन विद्या । मन्त्र :--ॐ नमो भगवऊ अरणंत जिरणस्स सिज्झ (ज्य )उ मे भगवइ महवइ महाविद्या
प्रणंत केवलणाणे अणंत पद्मवनारणे अगते गमे अणत केवल दंसरणे ठः ठः
ठः स्वाहा । विधि -शास्त्रारम्भे जपत्वा साष्टशत शयत एपयत्स्वप्ने । पश्यति तत्सर्व मिद तथैव तदनन्त
जिनविद्या । मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ धम्ल जिरणस्स सिज्झ (ष्य)उ मे भगवइ महवइ
महाविजा धम्मे सधम्मे धम्मे चारिणी धम्म धम्मे उवए स धम्मे ठः ठः
ठः स्वाहा। विधि -शिष्याचार्याद्यर्थे कार्योत्सर्गे जपन्नि मा विद्या। पश्यति शणोति यदसौ तत्सत्य सर्वमेव
पचदशी ।। कार्यारभेशिष्य श्रवणो विद्याभि मन्त्रितोऽष्ट शतम् । कार्यस्य पारदर्शी,
विशेषतोऽष्य नशन ग्राही। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ संतिजिणस्स सिज्झ (ष्य) उ मे भगवइ महवइ
महाविद्या संति संति पसति उवसंति सव्वापावं एस मेहि स्वाहा । विधि -इस मन्त्र का पाठ सौ बार जाप कर, धप-गव-पूष्पादिक को मत्रित करके धूप देने से ग्राम,
नगर, देश, पट्टण मे अथवा स्त्रियो मे वा पुरुषो मे वा पशुओ मे का, मारि रोग नष्ट हो
जाता है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवऊ अरहऊ कुथुस्स सिज्झ (ष्य)उ मे भगवइ महवइ महाविद्या
कुंथुडे कुथे कुंथुमइ ठः ठः ठः ॐ कु थेश्वर कुथे स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से धुलि को सात बार मत्रित कर जहाँ डाल देवे वहाँ के सर्व ज्वर सर्व रोग नष्ट
हो जाते है। मन्त्र :- ॐ नमो भगवऊ अरहऊ अरस्स सिज्झ (प्य)उ मे भगवइ महवइ महाविद्या
अरणि प्रारिणी अरणिस्स परिणयले ठ ठ. ठः स्वाहा ।