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________________ ५० लघुविद्यानुवाद चोर, बैरी निवारण मन्त्र ॐ ह्रीं णमो अरहतारणं, ॐ ह्री णमो सिद्धारणं, ॐ ह्री णमो पाइरियाण, ॐ ह्री णमो उवज्झायारणं, ॐ ह्री णमो लोए सव्वसाहूरणं ।। विधि - इस मन्त्र को पढकर चारो दिशा मे फूक दो, तुरन्त चोर, बैरी नाशे ( अर्थात् जिस दिशा मे चोर, बैरी हो उस दिशा मे फूंक दोजे यानि यह मन्त्र पढता जावे और उस तरफ फूक देता जावे तो तुरन्त चोर, बैरी भागे । नोट -पहले इस मन्त्र का सवा लक्ष जप करे और इसे सिद्ध करे, फिर जरूरत पर थोडा स्मरण करने से कार्य सिद्ध होगा। किन्तु पहले थोडा भी नियम से जपकर जरूर सिद्ध करले, जिससे जरूरत पड़ने पर फोरन काम पावे । चोर नाशन मन्त्र ॐ रणमो अरहंतारणं धणु धणु महाधणु महाधणु स्वाहा । विधि :-यह मन्त्र पहले सवा लक्ष जप कर सिद्ध करे, वक्त पर मन्त्र के अक्षरो को पढता जावे और उन अक्षरो को अपने ललाट पर बतौर लिखने के हरफ-ब-हरफ खयाल करता जावे और . मन्त्र जपता जावे, तो तुरन्त चोर भाग जावे अथवा मन्त्र को वाये हाथ मे लिखकर मुद्री बाँधकर ऐसा खयाल करे कि, मेरे बाये हाथ मे धनष है और मन्त्र जपता जाये तो चोर तुरन्त भाग जावे। दुश्मन तथा भूत निवारण मन्त्र ॐ ह्रीं अ-सि-पा-उ-सा सर्व दृष्टान् स्तम्भय-स्तम्भय मोहय-मोहय अन्धयअन्धय मूकवत्कारय कुरु कुरु ही दुष्टान् ठ ठः ठः । इस मन्त्र की दो क्रिया है - १-यदि किसी के ऊपर दुश्मन हमला करने आवे तो तुरन्त उसके मुकाबले को जावे। यह मन्त्र १०८ बार मुटी बाँधकर जप करता जावे, दुश्मन भागे। २-यदि किसी बालक या स्त्री को कोई भूत-पिशाच, चूडल, डायन सतावे तो यह मन्त्र १०८ बार मुट्री बाँधकर पढकर उसे झाडे। सुबह-शाम दोनो समय झाडा करे तो भूतादिक जावे, बालक-स्त्री अच्छे हो जावे।। नोट :- इस म त्र के नीचे के चरण मे-'ही दुष्टान ठ ठ ठ.' में दुष्टान के स्थान पर दुश्मन का नाम जानता हो तो ले या भुतादिक कहे ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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