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________________ लघुविद्यानुवाद बीजाक्षरमन्त्र ( १ ) ॐ – ! - 'प्रणव' नाम से हो प्रसिद्ध है । अरिहन्त, शरीर (सिद्ध), आचार्य उपाध्याय, मुनि (साधु) गनके पहले अक्षर लेकर सन्ध्यक्षर ॐ बना है । यह परमेष्ठीवाचक है । ( २ ) ह्र – यह मन्त्रराज, मन्त्राधिप, इस नाम से प्रसिद्ध है । सब तत्वो का नायक बीजाक्षर तत्व है । इसे कोई बुद्धि तत्व, कोई हरि, कोई ब्रह्म, महेश्वर या शिव तत्व या कोई साब, सर्वव्यापी या ईशान तत्व • इत्यादि अनेक नामो से पुकारते है । इसे 'व्योम बीज' भी कहते है | ( ३ ) ( ४ ) ह्रीं - मन्त्र का नाम 'मायावर' मायाबीज और शक्ति बोज भी कहते है । इवी - मन्त्र का नाम सकल सिद्ध विद्या या महा विद्या है, इसे 'अमृत बीज भी कहते है । ( ५ ) श्री - मन्त्र का नाम छिन्न मस्तक महाबीज है । इसे 'लक्ष्मी बीज' भी कहते है । ( ६ ) क्ली - मन्त्र का नाम कामबीज है । ( ७ ) ऐं - मन्त्र का नाम 'काम बीज' और 'विद्या बीज' ही है । (८) 'अ' ( 8 ) क्ष्वी - मन्त्र का नाम क्षिति बीज है । (१०) स्वा — मन्त्र का नाम वायु बीज है । (११) 'हां' (१५) 'क्ल' (१६) 'क्षां' (१) श्री (१) अहत (१२) 'हृ' (१६) 'क्रौं' (२०) 'क्षों' (२) सिद्ध युग्माक्षरी (१) असि उसा (१३) 'हाँ' (१७) 'श्री' (२१) 'क्षं' याक्षरी (२) ॐ अर्ह (३) ॐ ह्री चतुराक्षरी (१) अरहत या अरिहत (२) ॐ सिद्ध ेभ्यः पंचाक्षरी (२) हा ह्री ह्र ह्रौ ह्रः (३) ॐ सिद्ध (१४) 'हः' (४) आ, सा ४१ (१८) 'श्रू' (२२) 'क्ष (३) असिसाहु (३) अर्हत सिद्ध
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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