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माणिकचन्ददिगम्बर-जैनग्रन्थमालाकी
नियमावली। १. इस ग्रन्थमाला में केवल दिगम्बर जैन सम्प्रदायक संस्कृत और प्राकृत भाषाके प्राचीन ग्रन्थ प्रकाशित होंगे। यदि कमेटी उचित समझेगी तो कभी कोई देशभाषाका महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ भी प्रकाशित कर सकेगी। २. इसमें जितने ग्रन्थ प्रकाशित होंगे उनका मूल्य लागत मात्र रक्खा जायगा। लगतमें ग्रन्थ सम्पादन कराई, संशोधन कराई, छपाई, बँधवाई आदिके सिवाय आफ़िस खर्च, व्याज
और कमीशन भी शामिल समझा जायगा। ३. यदि कोई धर्मात्मा किसी ग्रन्थकी तैयार कराईमें जो खर्च
पड़ा है वह, अथवा उसका तीन चतुर्थांश, सहायतामें देंगे तो उनके नामका स्मरणपत्र और यदि वे चाहेंगे तो उनका फोटू भी उस ग्रन्थकी तमाम प्रतियोंमें लगा दिया जायगा । जो महाशय इससे कम सहायता करेंगे उनका भी नाम
आदि यथायोग्य छपवा दिया जायगा। ४. यदि सहायता करनेवाले महाशय चाहेंगे तो उनकी इच्छा
नुसार कुछ प्रतियाँ जिनकी संख्या सहायताके मूल्यसे अधिक
न होगी मुफ्तमें वितरण करनेके लिए दे दी जायंगीं । ५. इसमें ग्रन्थमालाकी कमेटीद्वारा चुने हुए ग्रन्थ ही प्रकाशित होंगे। पत्रव्यवहार करनेका पता
नाथूराम प्रेमी, हीराबाग, पो० गिरगांव; बम्बई ।
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