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________________ लब्धिसार { गाथा १०१ समाधान-यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि मनुष्य और तिर्यंचों की अपेक्षा यह गाथा सूत्र प्रवृत्त हुआ है । तियंच और मनुष्यों के सम्यक्त्व प्राप्त करते समय तीन शुभ लेश्याओं को छोड़कर अन्य लेश्याएं सम्भव नहीं हैं, क्योंकि अत्यन्त मन्द विशुद्धि द्वारा सम्यक्त्व प्राप्त करने वाले जीवके भी वहां जघन्य पीतलेश्या का नियम है । शंका--यहां देव और नारकियों की विवक्षा क्यों नहीं है ? समाधान-देव और नारकियों को विवक्षा नहीं की, क्योंकि उनके अवस्थित लेश्याभावका कथन करने के लिये यहां परिवर्तमान सर्व लेश्यावाले तिर्यंच और मनुष्यों की ही प्रधान रूप से विवक्षा है । अथवा देवों में तो यथायोग्य तीन शुभलेश्यारूप परिणाम ही होता है । इसलिये उक्त कथन का वहां कोई व्यभिचार नहीं आता । नारकियों में भी अवस्थित स्वरूप कृष्ण, नील और कापोतलेश्यारूप परिणाम होते हैं, वहां तीन शुभलेश्यारूप परिणाम असम्भव ही है इसलिए उनमें यह गाथा सूत्र प्रवृत्त नहीं होता अतः तिर्यंचों और मनुष्यों को विषय करनेवाली ही यह गाथा है। ___ यद्यपि गाथा सूत्र में कषाय और वेद का कथन नहीं किया तथापि उनका कथन किया जाता है, क्योंकि इस गाथा सूत्र में एकदेश कथन किया गया है अर्थात् यह देशामर्शक गाथा सूत्र है। ___दर्शनमोह का उपशम करनेवाले जीवके क्रोधादि चारों कषायों में से अन्यतर कषायपरिणाम होता है, किन्तु वह नियमसे हीयमान कषायवाला होता है, क्योंकि विशुद्धि से वृद्धि को प्राप्त होनेवाले के वर्धमान कषाय के साथ रहने का विरोध है । इसलिए क्रोधादि कषायों के द्विस्थानीय अनुभागोदय से उत्पन्न हुए तत्प्रायोग्य मन्दतर कषाय परिणाम का अनुभवन करता हुआ सम्यक्त्व को उत्पन्न करने के लिये प्रारम्भ करता है। सम्यक्त्वोत्पत्ति में व्याप्त हुए जीवके तीन बेदों में से कोई एक वेद परिणाम होता है, क्योंकि द्रव्य और भाव की अपेक्षा तीन वेदों में से अन्यतर वेदपर्याय से युक्त जीवके सम्यक्त्वोत्पत्ति में व्याप्त होनेके विरोध का अभाव है। १. ज.ध. पु. १२ पृ. २०५ व ३०६ । २. ज.ध. पु. १२ पृ. २०२-२०३ एवं क. पा. सुत्त पृ. ६१६ । ३. ज. प. पु. १२ पृ. २०६; क. पा सुत्त पृ. ६१६ सूत्र १६
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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