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________________ ७० क्षपणासार [ गाथा ७६. 'गण: णादेय पदेसगगुणहाणिढाणफयाणं तु । होदि असंखेज दिमं अबरादु वरं प्रणांत गुणां ॥७६॥४६७।। अर्थः-गणनाको अपेक्षा अपूर्वस्पर्धक प्रदेशगुणहानि स्थानान्तरके स्पर्धकोंके असंख्यातवेंभागप्रमाण हैं । जघन्य अपूर्वस्पर्धकके अविभागप्रतिच्छेदोंसे उत्कृष्ट अपूर्वस्पर्धक में अनुभागसम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद अनन्त गुणे हैं । विशेषार्थः- पूर्वस्पर्द्ध कोंकी आदिवर्गणा एक-एकवर्गणा विशेषसे घटते-बटते आधी हो जाती है उतने आयामका नाम एकगुणहानिस्थानान्तर है। इसमें अभन्योंसे अनन्त गुणे और सिद्धोंके अनन्तवेंभाग स्पर्धक होते हैं उनको उत्कर्षण-अपकर्षणभागहारसे असंख्यातगुणे भागहारके द्वारा भाग देनेपर जो प्रमाण आवे उतने अपूर्वस्पर्धक होते हैं अर्थात् एक प्रदेशगुणहानिस्थानान्तरके स्पर्धकों के असंख्यातवेंभागप्रमाण अपूर्वस्पर्धकोंको संख्या (गणना) होती है, वह संख्या अभव्योंसे अनन्तगुणी और सिद्धोंके अनन्त_भागप्रमाण अनन्त है । प्रथमसमय में रचे गए अपूर्वस्पर्धकोंमें से प्रथम अर्यात जघन्यस्पर्धकको आदिवर्गणाके अविभागप्रतिच्छेदसमूह सर्वजीवोंसे अनन्तगुणा होते हुए भी उपरिम पदोंकी अपेक्षा स्तोक है । द्वितीयस्पर्धक की आदिवर्गणामें अविभागप्रतिच्छेद समूह अनन्तबहभाग अधिक है । प्रथमस्पर्धकको आदिवर्गणाके सदृश अविभागप्रतिच्छेदवाले परमाणुओंकी संख्यासे अविभागप्रतिच्छेदों को गुणा करनेपर अविभागप्रतिच्छेदसमूहरूप एकपुज होता है, उससे दूसरेस्पर्धककी आदिवर्गणाके सदृश अविभागप्रतिच्छेदवाले परमाणुओंमे सर्व अविभागप्रतिच्छेदसमूह कुछकम दुगुना होता हुआ अनन्तबहुभाग अधिक है। प्रथमस्पर्धककी आदिवर्गणाआयामसे (आदिवर्गणा प्रदेशजसे) दूसरेस्पर्धककी आदिवर्गणा आयाम विशेषहीन है । एकस्पर्धक शलाकाप्रमाण वर्गणाविशेषके बराबर विशेषहीनका प्रमाण है। प्रथमस्पर्धकको आदिवर्गणाके एक परमाणुके अविभागप्रतिच्छेदसे द्वितीयस्पर्धककी आदिवर्गणाके एकपरमारगुमें अविभागप्रतिच्छेद दुगुणे होते हैं। प्रथमस्पर्धककी आदिवगंणाके अविभागप्रतिच्छेद प्रतिस्पर्धककी आदिवर्गणामें दुगुणे-तिगुणे१. क. पा. सुत्त पृष्ठ ७८६ सूत्र ४६७ । धवल पु० ६ ० ३६६ । २. क. पा. सुत्त पृष्ठ ७६१ सूत्र ५०१.२ । घ. पु०६ पृ० ३६७ । ३. ज०५० मूल प० २०२७ । ४, "अर्णता भागा अर्गत भागा, अणंतभागेहिं उत्तरमणंतभागुत्तरं ।" (जः घ० मूल पृष्ठ २०२७)
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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