SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २] लविपरीत घा ३३ विहायोगति, स्थावर सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारणशरीर अस्थिर, अणुभ, दुर्भन दुःस्वर अतिदय, अयश कीति, नीचमार और पांचनन्तरसय ना अप्रशस्तनकोका द्विस्थानीय १ वाम या लिम्बकमजोर).. अनुभागसत्कर्म होता है। साताबरनाथ, मनुष्यति दवान, पंचेन्जिाति, भावनिक गर, विराजतगरी कामगार तथा जहा बाय . अर संधान : रापचासससकाना' औदारिकशरीरांगावांग, त्रिपिकशरीरागापांग, अरमनागवनंदनन प्रशम्नवर्णचतुष्क, मनुष्मस्थानुपूर्वी, देवावामी , यालय, परवार, ३वास, प्रातप, उन्धान, प्रशस्वविहायोगति, अस, दर. पात, अन्य शरीर, स्थिर, शुम, सुभम सुस्मा सादा यशाकशि निलग, 411 प्रशस्तप्रकृतियाका चतु:स्थानासयन मागसम होता हैं । .., जिन प्रतानियों का सत्याग . का अजमाय-अनुकृष्ट अशा .1.II ,IE: -:..:. . अब क्रमप्राप्त करणलब्धिको कहते है-Fol. . AFFIPR । तत्तो अभबजोगं परिणाम बोलिऊण भयो । .............. . .. ... .. करण करेदि कमसो अधापवत्तं अपुवमणियि ॥३३॥ : Mira .. अर्थ, उसके पलात्, अर्थात् मायोग्कलानिधो परमात्म भव्यके योग्य परिणामाको उल्लंघकर भव्यजीव क्रमशः अधःप्रवृत्तकरण, अपूर्वकारण और अनिवृतिक करणको करता है, . It : विशेषार्थ----गुरुपदेशके बलसे अथवा, इसके बिना भी अभव्यजीवांके योग्यविशुद्धियोंको व्यतीत करके भव्यजीयोवे. योग्य अधःप्रवृत्तकरण संज्ञावाली विद्धि में भव्यजीव परिणत होता है। जिस परिणामविशेषके द्वारी दर्शनमोहका उपशमादिरूप विवक्षितभाव उत्पन्न किया जाता है वह विशेषपरिणाम करण कहा जाता है, . . I पर . ..FHF) शंका–परिणामोंकी 'करण' यह संज्ञा कैसे है ? '। ' समाधान यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि असि ( तलवार ) और वासि (बभूला) के समान गाधकतमभावकी विथक्षा परिणामों के करणेपना पाया जाता है । |FT. T ir li, : ..:-. । १. जि. ध पु. १२ पं. २०४-२१०। . .: . ..: .:.::FFIFI ....... ... TARE] ३. ज. प. पु. १२ पृ. २६३ । ४. घ. पु. ६ पृ. २१७ । घ. पु. १ प. १८१ । । । । ..- . . ।
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy