SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्र. स. चूलिका ] लब्धिसार [ १०३ शंका-यह किस प्रमाण से जाना जाता है ? समाधान-दर्शनमोहत्तीय की उपशामता के सम्बन्धमें जो पंचविशति (२५) स्थानीय अल्पबहुत्वदण्डक कहा गया है उससे यह जाना जाता है । जो मिथ्यादष्टि हो गया है वह मिथ्यात्वको प्राप्त होने के प्रथमसमय में अन्तरकाल के ऊपर दूसरी स्थिति में स्थित प्रथम निषेक से लेकर मिथ्यात्व की अन्त - कोडाकोड़ी प्रमाण स्थिति के अन्तिम निषेक तक जितनी स्थितियां हैं उन सबके कर्मपरमाणुओं में पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण अपकर्षण-उत्कर्षण भागहार का भाग देकर वहां जो एक भाग प्राप्त होता है उसे अन्तर को पूरा करने के लिये अपकर्षित करता है, फिर इसप्रकार अपकर्षित हुए द्रव्यमें असंख्यातलोकप्रमाण भागहार का भाग देकर जो एकभाग प्राप्त हो उसमें से बहुभाग उदय में देता है। दूसरे समयमें विशेष हीन देता है । यह विशेष का प्रमाण निषेक भागहार से ले आना चाहिए । इसप्रकार उदयावलि के अन्तिम समय तक विशेष हीन विशेष हीन द्रव्य देना चाहिये । यहां उदय समय से लेकर उदयावलि के अन्तिम समय तक असंख्यातलोक प्रतिभाग से प्राप्त हुआ एकभाग प्रमाण द्रव्य समाप्त हो जाता है । फिर शेष असंख्यात बहुभागप्रमाण द्रव्य में से उपरिम अनन्तरवर्ती स्थिति में' असंख्यातगुरणे द्रव्य का निक्षेप करता है । शङ्का-यहां गुणकार का प्रमाण क्या है ? समाधान--- असंख्यातलोक । फिर इससे आगे की स्थिति में दोगुणहानिप्रमाण निषेकभागहार की अपेक्षा विशेषहीन द्रव्यका निक्षेप करता है । इसप्रकार यह क्रम अनन्तरकाल के अन्तिम समय तक प्रारम्भ रहता है। इससे आगे की उपरिम स्थितिमें दृश्यमान कर्मपरमाणुगों के ऊपर असंख्यातगुणे हीन द्रब्यका निक्षेप करता है फिर इससे आगे अतिस्थापनावलि के प्राप्त होने के पहले तक पूर्वविधि से विशेषहीन विशेषहीन द्रव्य का निक्षेप करता हैं । इसप्रकार दर्शनमोहोपशामना अधिकार पूर्ण हुआ । १. शन्तर अधस्तनापेक्षा । २. ज. प. पु. ७ पृ. ३१५-१६ ।
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy