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________________ - कुशल काव्य र परिच्छेदः ४3 1 बुद्धि समस्त अचानक आक्रमणों को रोकने वाला कवच है. दह ऐसा दुर्ग है जिसे शत्रु भी घेर कर नहीं जीत सकते । 2 यह बुद्धि ही है जो इन्द्रियों को इधर उधर भटकने से रोकती है. उन्हे बुराई से दूर रखती है और शुभकर्म की ओर प्रेरित करती है। 3-समझदार बुद्धि का काम है कि हर एक बात मे झूठ को सत्य से पृथक कर दे. फिर उरस बात का कहने वाला कोई क्यों न हो। 4-बुद्धिमान मनुष्य जो कुछ कहता है इस तरह से कहता है कि उसे सब कोई समझा सके और दूसरों के मुख से निकले हुए शब्दों कं आतरिक भाव को वह शीघ्र समझ लेता है | बुद्धिमान् मनुष्य सबके साक्ष्य मिलनसारी से रहता है और उस की प्रकृति सदा एक सी रहती है. उसकी मित्रता न तो पहिले अधिक बढ़ जाती है और न एकदम घट जाती है । --यह भी एक बुद्धिमानी का काम है कि मनुष्य लोकरीति के अनुसार व्यवहार करे । -समझदार आदमी पहिले से ही जान जाता है कि क्या होने वाला है. पर मूर्ख आगे आने वाली बात को नहीं देख सकता । 8-संकट के स्थान में सहसा दौड़ पड़ना मूर्खता है । बुद्धिमानी का यह भी कहना है कि जिससे डरना चाहिए उससे डरता ही रहे । 9- जो दूरदर्शी आदमी हर एक विपत्ति के लिए पहिले से ही सचेत रहता है वह उस दार से बचा रहेगा जो अति भयंकर है । 10---जिसके पास बुद्धि है उसके पास सब कुछ है. पर मूर्ख के पास सब कुछ होने पर भी कुछ नहीं है । 195)
SR No.090260
Book TitleKural Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherVitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP
Publication Year2001
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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