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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . शेषविधिः। पूर्वावस्वाध्यायानन्तरकरणीयोमबेशनम् । ततो देवगुरू स्तुत्वा ध्यानं वाराधनादि वा। शास्त्रं जपं वास्वाध्यायकालेऽभ्यसेदुपोषितः ॥१॥ प्राणयात्राचिकीर्षायां प्रत्याख्यानमुपोषितम् । नवा निष्ठाप्य विधिवद्भुक्त्वा भूयः प्रतिष्ठयेत् ॥२॥ ३-मध्यान्ह-देववन्दना। पूर्वोक्तान विधेया। हेयं लघ्व्या सिद्धभक्त्यानादौ । प्रत्याख्यानाद्याशु चादेयमन्ते । १-पूर्वाह्वस्वाध्याय के अनन्तर पूर्वोक्त देववन्दना और गुरुवन्दना करे, पश्चात् जिसने पहले दिन उपवास धारण किया है । वह उपोषित साधु अस्वाध्यायकाल में ध्यान करे वा भाराधना आदि शास्त्र पढ़े अथवा पंचनमस्कार आदि का जाप्य दे। २-और जिसने पहले दिन उपवास धारण न किया हो वह साधु भोजन करने की इच्छा होने पर पूर्व दिन ग्रहण किये हुए प्रत्याम्ल्यान अथवा उपवास को विधिपूर्वक निष्ठापन करे, पश्चात् विधिपूर्वक भोजन करके पुनः प्रत्याख्यान या उपवास ग्रहण करे। ३-भोजन के पहले लघुसिद्धभक्ति पढ़ कर प्रत्याख्यान अथवा उपवास का त्याग-निष्ठापन करे और भोजन के बाद शीघ्र ही लघुसिद्धभक्ति पढ़ कर प्रत्याख्यान अथवा उपवास प्रहण करे । यह तो आचार्य की असमक्षता में करे । प्राचार्य के समीप में लघु सिद्धभक्ति पूर्वक लघुयोगिभक्ति पढ़ कर प्रत्यख्यान अथवा उपवास धारण करे । भन. न्तर लघु आचार्यभक्ति पढ़ कर आचार्य को वन्दना करे। For Private And Personal Use Only
SR No.090257
Book TitleKriya Kalap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Shastri
PublisherPannalal Shastri
Publication Year1993
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size15 MB
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