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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar ३२१ क्रिया-कलापे rrrrrrrrrrrrrrrrrrrnwwwww. १४-अभिषेकचन्दनाक्रिया'अहिसेयवंदणा सिद्धचेदियपंचगुरुसंतिभत्तीहिं। कोरइ मंगलगोयरमज्झरिहयवंदणा होई ।। तथासा नन्दीश्वरपदकृतचैत्या त्वभिषेकवन्दनास्ति तथा । मंगलगोचरमध्याह्नवन्दना योगयोजनोज्झनयोः ।। अथ अभिषेकवन्दनाकियायां............सिद्धभक्तिकायोत्सर्ग करोमि___ अथ अभिषेकवन्दनाक्रियायां........... चैत्यभक्तिकायोत्सर्ग करोमि - अथ अभिषेकवन्दनाक्रियायां........ पंचगुरुभक्तिकायोत्सर्ग करोमि___ अथ अभिषेकवन्दनाक्रियायां........ शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि १-सिद्धभक्ति, चैत्यभक्ति, पंचगुरुभक्ति और शान्तिभक्ति द्वारा अभिषेकवन्दना की जाती है । तथा यही अभिषेकवन्दना मंगलगोचरमध्याह्न वन्दना होती है । अन्यत्र भी कहा है कि पूजाभिषव और मंगल इन दो क्रियाओं में सिद्धभक्ति को आदि लेकर शान्तिभक्ति पर्यन्त चार भक्तियां की जाती हैं । यथा सिद्धभक्त्यादिशान्त्यन्ता पूजाभिषवमंगले। २-वह नन्दीश्वरक्रिया ही नन्दीश्वरभक्ति के स्थान में चैत्यभक्ति के जोड़ देने पर अभिषेक-वन्दना अर्थात् जिनमहास्नपनदिवस में वन्दना होती है। तथा अभिषेक-वन्दना ही वर्षायोग ग्रहण और विसर्जन में मंगलगोचर-मध्याह्न-वन्दना होती है। For Private And Personal Use Only
SR No.090257
Book TitleKriya Kalap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Shastri
PublisherPannalal Shastri
Publication Year1993
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size15 MB
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