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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किया-कलापे ('स्तोष्ये संज्ञानानि' इत्यादि) अनन्तरं श्रुतावतारोपदेशः कार्यः । तदनुअथ स्वाध्यायप्रतिष्ठापनाक्रियायां...''श्रुतभक्तिकायोत्सर्ग करोमि (श्रुतभक्तिः) अथ स्वाध्यायप्रतिष्ठापनक्रियायां..."आचार्यभक्तिकायोत्सर्ग करोमि (आचार्यभक्तिं कृत्वा स्वाध्यायं कुर्यात् ) अथ स्वाध्यायनिष्ठापनक्रियायां... श्रुतभक्तिकायोत्सर्ग करोमि (श्रुतभक्तिः ) अध श्रुतपंचमीक्रियायो...'शान्तिभक्तिकायोत्सर्ग करोमि (शान्तिभक्तिः) ११-सिद्धान्ताचारवाचनक्रिया 'कल्प्यः क्रमोऽयं सिद्धान्ताचारवाचनयोरपि । एकैकार्थाधिकारान्ते व्युत्सर्गस्तन्मुखान्तयोः ।। सिधश्रुतगणिस्तोत्रं व्युत्सर्गाश्चिातिभक्तये। द्वितीयाविदिने षट् षट् प्रदेया वाचनावनौ ।। १-श्रतपंचमीक्रिया का जो क्रम है वही सिद्धान्तवाचना और आचारवाचना का है। सिद्धान्त के एक एक अर्थाधिकार के अन्त में कायोत्सर्ग करना चाहिए और उनके प्रारंभ में और समाप्ति में सिद्धभक्ति, श्रतभक्ति और आचार्यभक्ति करना चाहिए। तथा अत्यन्तभक्ति प्रदर्शित करने के लिए दूसरे तीसरे आदि दिनों में उस वाचनाभूमि में एवं छह छह कायोत्सर्ग करने चाहिएं। For Private And Personal Use Only
SR No.090257
Book TitleKriya Kalap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Shastri
PublisherPannalal Shastri
Publication Year1993
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size15 MB
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