________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
क्रियाकलापे
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अंग और चौदह पूर्व का अध्ययन और स्वयं शुद्ध व्रतों से युक्त उपाध्यायों को, मोक्ष पथका साधन करने वाले लोकवर्ती सम्पूर्ण साधुत्रों को नमस्कार
अध्यापन करने कराने वाले, अट्ठाईस मूल गुणों से युक्त,
करता हूँ ।
सिद्ध साधु और केवली प्रणीत धर्म ये चार मंगल रूप - पाप कर्मों को नाश करने वाले और सुख को देने वाले हैं । अर्हत सिद्ध साधु और केवली प्रणीत धर्म ये चारों, लोक में उत्तम हैं अर्थात् उत्तम गुणों से युक्त हैं और भव्यों को उत्तम पद की प्राप्ति के कारण हैं। सिद्धसाधु और केवली प्रणीत धर्म इन चारों की शरण को प्राप्त होता हूँ अर्थात् ये दुर्जय कर्म रूप शत्रुओं से जायमान दुःखरूप समुद्र से भव्य जीवों को तारने वाले हैं इस लिए इन चारों की शरण ग्रहण करता हूँ ।
अढ़ाई द्वीप, दो समुद्र और पन्द्रह कर्म भूमियों में जितने भगवान्, आदितीर्थ के प्रवर्तक, तीर्थकर, जिन जिनोत्तम केवलज्ञानी अर्हत हैं उन सब का क्रिया कर्म करता हूँ । सम्पूर्ण अर्थों को जानते हैं इस लिए बुध, सुख स्वरूप हैं इस लिए परिनिर्वत, अशेष कर्म जनित संसार का अन्त करने वाले अथवा एक एक तीर्थंकर के काल में दुर्धर उपसर्ग को प्राप्त कर एक अन्तर्मूहूर्त में घातिया कर्मों को नाश केवलज्ञान उत्पन्न कर और सम्पूर्ण कर्मों को क्षय कर सिद्ध पद प्राप्त करने वाले दश दश अन्तकृत, संसार समुद्र को पार करने वाले इस लिए पारंगत ऐसे जितने सिद्ध हैं उन सब का क्रिया कर्म करता हूं । तथा धर्म का आचरण करने वाले आचार्यों का धर्म के उपदेशक उपाध्यायों का और धर्म के नायक सब साधुओं का क्रिया कर्म करता हूँ । एवं धर्म रूप चतुरंग सेना के अधिपति चतुर्णिकाय देवों द्वारा वन्दनीय अतएव देवाधिदेव ऐसे त, सिद्ध, आचार्य उपाध्याय और साधुओं का तथा ज्ञान, दर्शन, और चारित्र इन तीन मुख्य गुणों का क्रिया कर्म करता हूं।
For Private And Personal Use Only