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Tothloni
नमः सिद्धेभ्यः ।
क्रियाकलापः
वन्दनाद्यध्यायः प्रथमः। देववन्दना या सामायिक विधिः । -
- नमः श्रीवीरनाथाय, सम्यग्बोधप्रहेतवे । सामायिकविधिं वक्ष्ये, पूर्वशास्त्रानुसारतः ॥ १ ॥
कृति-कर्मसामायिक अथवा देववन्दना के समय संयतों और देश-संयतों को कृति-कर्म करना चाहिए । पाप कर्मों को छेदने वाले अनुष्ठान को कृति-कर्म कहते हैं अर्थात् जिन क्रियाओं से पाप कर्मों का नाश हो वह कृति-कर्म है । इस कृति-कर्म के सात भेद हैं । यथा
योग्यकालासनस्थानमुद्रावर्तशिरोनति ।। विनयेन यथाजातः कृतिकर्मामलं भजेत् ॥ १॥ अर्थात्-योग्य काल, योग्यासन, योग्यस्थान, योग्यमुद्रा, योग्यआवत, योग्यशिर और योग्यनति ये सात कृति कर्म हैं । इसको नग्नमुद्राधारो संयत, बत्तीस दोष रहित, विनयपूर्वक करे ॥ १ ॥
योग्यकालतिस्रोऽहोऽन्त्या निशश्वाधा नाडयो व्यत्यासिताश्च ताः । मध्याहस्य च षट् कालानयोऽमी निस्यवन्दने ॥२॥
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