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________________ कविवर हेमराज २३१ लिखी है। संत जन भूल चूक की समुझि करि सुधारि के पठरणा सं. १७८८ पौष सुदि १० । छन्दमाला हेमराज की एक रचना छन्दमाला का उल्लेख डा. नेमीचन्द शास्त्री ने हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन में किया है। इसी छ-८ माला की एक नाडपत्रीय प्रति जैसलमेर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। इस छन्द माला का रचना काल संवत् १७०६ है। सूची में भाषा गुजराती सिखा है। इस प्रकार हेमराज नाम के चारों ही कवि हिन्दी साहित्य निर्माण के लिये घरदान सिद्ध हुये। हो सकता है सभी ग्रामरा, मैनपुरी एवं उसके पास पास के मन्दिरों में स्थित शास्त्र भण्डारों के अवलोकन से और भी कृतियां मिल जाये लेकिन जो कुछ प्रब तक उनकी रचनायें मिली हैं वे ही उनकी फीति गौरव हापा कहने के लिये पर्याप्त है। गरा साहित्य का महत्व पांडे हेमराज का सबसे अधिक योगदान प्राकृत ग्रंथों का हिन्दी गद्य में विस्तृत टीका सहित अनुदित करना है। पाण्डे राजमहल ने १७वीं शताब्धि के माप में जिस समयसार नाटक का हिन्दी में टना टीका लिखी पी पाजे हेमराज ने प्रवचनसार पर हिन्दी गद्य में विस्तृत एवं व्यवस्थित टीका लिखकर स्वाध्याय प्रेमियों के लिये नयी सामग्री प्रस्तुत की। वास्तव में जैन कवियों ने जिस प्रकार पहिले अपभ्रश कृतियों के माध्यम से और फिर राजस्थानी एवं हिन्दी पत्र कृतियों के माध्यम से जिस प्रकार हिन्दी भाषा को अपूर्व सेषा की थी उसी प्रकार हिन्दी पद्य में भी ग्रंथों की टीकाए' लिखकर हिन्दी गय साहित्य के विकास में भी महरदा पूर्ण योग दिया। भी जेसलमेव दुर्गस्प जैन ताम्पत्रीय प्राप भणार सूची पर-पम सं. २१५ कम संख्या ६३१.
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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