________________
बुधजन द्वारा निबद्ध कृतियां एवं उनका परिचय
४३
इनके अतिरिक्त यम विलास, शील बिलास, सभा विलास, कारक विलास विवेक विलास, नमन सुख विलास इत्यादि अनेक रचनाएं विलास नाम से इन शताब्दियों में रखी गई। ये अधिकतर गेय रचनाएं हैं ।
"सुधजन विलास" की प्राय: सम्पूर्ण रचनाएं गेय हैं। प्रायः सभी मुक्तक छन्द हैं। इन सभी रचनाओं को विषय की दृष्टि से मुख्यतः तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है । (१) नीति प्रधान रचनाएं (२) संद्धान्तिक रचनाएं (३) आध्यात्मिक रचनाएं | (नीति प्रधान रचनात्रों में बुधजन सतसई, पद संग्रह, बुधजन-विलास श्रादि । बाध्यात्मिक रचनाओं में छहढाला तत्वार्थ बोध, वर्ल्ड मान पुराणसूच सुचनिका, योगसार भाषा आदि । आध्यात्मिक रचनाओं में पंचास्तिकाय भाषा आदि हैं । इनके अतिरिक्त भक्ति प्रधान रचनाएं भी हैं, जिनके नाम हैं-नंदीश्वर जयमाला, इष्ट छत्तीसी, विमल जिनेश्वर स्तुति, वन्दना जखड़ी आदि ३) बुधजन विलास की दो प्रमुख कृतियों का परिचय निम्न प्रकार है ।
६ - दोष बावनी ( १८६६ बि. सं.)
कवि की यह एक लघु कृति है 1 इसमें कुल ५२ पद्य है । यह खौपाई छन्द में लिखी गई है। इस रचना के निर्माण में कवि का लक्ष्य यह रहा है कि मनुष्य पाप कार्यों से सदा बचता रहे क्योंकि पाप कार्यों का फल अन्ततः दुःख रूप ही होता है । इम्हीं पाप कार्यों के कारण जीवों को खोटी गतियों में जन्म लेना पड़ता है ।
-
कवि ने बड़े ही सुन्दर ढंग से दुर्जन के लक्षण बताये हैं वे लिखते हैं:दुर्जन व्यक्ति कभी प्रभु का नाम लेना नहीं चाहता जबकि सज्जन पुरुष प्रभु का नाम सुनते ही प्रसन्न हो जाता है। सच्चे व झूठे देवी-देवताभों की परीक्षा न कर सकने के कारण दुर्जन पुरुष दुर्गाति के पात्र होते हैं । दुर्जन पुरुष मक्ष्य, अभक्ष्य का, धर्म, अधर्म का । जाति कुजाति का अन्तर नहीं समझते। पांचों इन्द्रियों के विषय भोगों में दिन-रात लीन रहते हैं । रात-दिन खोटे बंधों में व्यस्त रहते हैं। धर्म चर्चा में गूंगे बन जाते हैं | नाटक-सिनेमा, नाच-गाना प्रादि में रस लेते हैं । कभी त्याग करते नहीं । कदाचित् दानादि देते भी है तो मान हैं। श्रद्धालु धर्मो जनों की हंसी उड़ाते हैं ।
रातभर जागते हैं । बड़ाई के लिए देते
रचना के अन्त में कवि ने अपने नाम का तथा रचना काल का उल्लेख किया है जो इस प्रकार है---
१
ठारेसे छाछ के साल श्रावरण सुदि दिन तीन विशाल ।
शेष अगले पृष्ठ पर