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चतुर्थ खंड
( प्रथम अध्याय )
तुलनात्मक अध्ययन
१. हिन्दी साहित्य के विकास में बुबजन का योग
२. बुधजन साहित्य में प्रतिपादित श्राध्यात्मिक एवं दार्शनिक तत्त्व
३. गीति काव्य के विकास में बुधजन कर योग
४. विद्यापति और बुषजन
५. सूरदास और बुधजन
६. संत काव्य परंपरा में युवजन
७. बुधजन का भक्तियोग
म छहढाला
९. बुधजन सतसई
१०. अनुक्रमणिका संदर्भ ग्रन्थ
११. अनुक्रमणिका ग्रन्थ एवं कवि
१२. बुधजन का उल्लेख विद्वानों की दृष्टि में
पृष्ठ संख्या
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