SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (viii) उसे हम अभी तक प्राप्त नहीं कर सके हैं। अब तक संचालन समिति की सदस्यता के लिए ४५ महानुभावों की एवं विशिष्ट सदस्यता के लिए १२५ महानुभावों की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। हम चाहते हैं कि सन् १९७६ में इसके कम से कम १०० सदस्य और बन जावें तो हमें आगे के ग्रन्थों का प्रकाशन में सुविधा मिलेगी। मादमी भी माट पशोककुमार जी जैन को संरक्षक के रूप में पाकर तथा श्री गुलाबचन्द गंगवाल रेनवाल, श्री अजित प्रसाद जैन ठेकेदार देहली, श्री सेठ कमलचन्द जी कासलीवाल जयपुर, श्री कन्हैयालाल जी सेठी जयपुर, श्रीमान् सेठ पदममन्द जी तोतका जौहरी जयपुर, सेठ फूलचन्द जी साहच विनायक्या डीमापुर एवं त्रिलोकचन्द जी साहब कोठ्यारी फोटा, का उपाध्यक्ष के रूप में सहयोग पाकर प्रकादमी गौरव का अनुभव करती है। इसलिए मेरा समाज के सभी साहित्य प्रेमियों से प्रार्थना है कि वे इस संस्था के संचालन समिति के सदस्य प्रयबा अधिक से अधिक संख्या में विशिष्ट सदस्यता स्वीकार कर साहित्य प्रकाशन की इस अकादमी की प्रसाधारण योजना के क्रियान्विति में सहयोग कर अपूर्व पुण्य का लाभ प्राप्त करें। इसी वर्ष हम कम से कम तृतीय एवं चतुर्थ पुष्प पोर प्रकाशित कर सकेंगे । तीसरा पुष्प "महाकवि ब्रह्म जिनदास एवं भट्टारक प्रतापकीति" की पाण्डुलिपि तैयार है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसे हम मन्टुबर ७६ तक पत्रश्य प्रकाशित कर सकेंगे। प्रस्तुत पुष्प के सम्पादक मण्डल के अन्य तीन सम्पादकों-सा ज्योतिप्रसाव जैन लखनऊ, डा० दरबारीलाल जी कोठिया न्यायाचार्य, दाराणसी, पं. मिसापचन्द जी शास्त्री जयपुर का भी मैं आभारी हूँ जिन्होंने डा. कासलीवाल जी की पुस्तक के सम्पादन में सहयोग दिया है। प्राशा है भविष्य में भी उनका अकादमी को इसी प्रकार का सहयोग प्राप्त होता रहेगा। मद्रास कन्हैयालाल जैन पहाडिया
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy