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________________ (v) सदस्यता-प्रकादमी के दो प्रकार के सदस्य होंगे जो संचालन समिति के सदस्य एवं विशिष्ट सदस्य कहलायेंगे। संचालन समिति के सदस्यों की संख्या १०१ होगी जिसमें संरक्षक, मध्यम, कार्याध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं निदेशक के अतिरिक्त शेष सम्माननीय सदस्य होंगे। संचालन समिति का संरक्षक के लिए ५००१) रु०, अध्यक्ष एवं कार्यकारी अध्यक्ष के लिए २५०१) रु०, उपाध्यक्ष के लिए १५०१) रु० तथा निदेशक एवं सम्माननीय सदस्यों के लिए ५०१) रु. प्रकादमो को सहायता देना रखा गया है। विशिष्ट सदस्यों से २०१) रु. लिये जावेंगे । सभी सदस्यों को अकादमी द्वारा प्रकाशित होने वाले २० भाग मैंट स्वरूप दिये जावेंगे । अब तक अकादमी की संचालन समिति के पदाधिकारियों सहित ४५ सदस्यों सथा १२५ विशिष्ट सदस्यों की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। मुझे यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हैं कि समाज में साहित्य प्रकाशन की इस योजना का मच्या स्वागत हुप्रा है। पदाधिकारी ... अकादमी के प्रथम संरक्षक समाज के यूवक नेता साहु प्रशोक कुमार जग है जिनसे समाज भली भांति परिचित है। इसी तरह प्रकादमी के अध्यक्ष श्री सेठ कन्हैयालाल जी पहाडिया मद्रास वाले हैं जो अपनी सेवा के लिए उत्तर भारत से भी अधिक दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय हैं । उपाध्यक्ष के रूप में हमें अभी सके सात महानुभावों की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। सभी समाज के जाने माने व्यक्ति हैं और अपनी उदार मनोवृत्ति तथा साहित्यिक प्रेम के लिए प्रसिद्ध हैं। उपाध्यक्षों के नाम हैं : सर्व श्री गुलाबचन्द जी गंगवाल, रेनवाल (जयपुर) श्री अजितप्रसाद जी जैन ठेकेदार (देहली), श्री कमलबन्द जी कासलीवाल जयपुर, श्री कन्हैयालाल जी सेठी जयपुर, श्री पवमचन्द जी तोतूका जयपुर, श्री फूलचन्द जी विनामक्या डीमापुर, एवं श्री त्रिलोकचन्द जी कोठारी कोटा । इन सभी महानुभावों के हम प्राभारी हैं । सहयोग–अकादमी के सदस्य बनाने के कार्य में सभी महानुभावों का सहयोग मिलता रहता है । इनमें सर्व श्री सुरेश जैन डिप्टी कलेक्टर इन्दौर, थी मूलचन्द जी पाटनी बम्बा, डा. भागचन्द जैन दमोह, पं० मिलापरन्द जी शास्त्री जयपुर, श्रीमती कोकिला सेठी जयपुर, धी गुलाबचन्द जी गंगवाल रेनवाल, प्रो० नरेन्द्र प्रकाश जैन फिरोजाबाद, बंध प्रमुदयाल कासलीवान एवं पं० अनुपचन्द जी न्यायतीथं प्रादि के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं । मुझे पूर्ण प्राशा है कि जैसे-जैसे इसके भाग छपते जाधेगे इसकी सदस्य संख्या में वृद्धि होती रहेगी । इस वर्ष के पन्त तक इसके कम से कम ३०० सदस्य बन जायें ऐसा सभी से महयोग प्रपेक्षित है। मनके सहयोग के माधार पर ही अकादमी अपनी प्रथम पञ्चवर्षीय योजना में सफल हो सकेगी ऐसा हमारा विश्वास है।
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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