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________________ कविवर बूचराज एवं उनके समकालीन कवि अन्न भी है। इनकी रचना जान पड़ता कि ये मारवाड़ की तरफ के रहने बाले थे क्योंकि उन्होंने तालाबों प्रादि का वन बड़े प्रेम से किया है । १२२ डा० शिवप्रसाद सिंह ने अपनी पुस्तक "सूर पूर्व ब्रज भाषा और उसका साहित्य" में छील का सबसे अच्छा मूल्यांकन प्रस्तुत किया है ।" यही नहीं उन्होंने रामचन्द्र शुक्ल एवं डा० रामकुमार वर्मा के मत का उल्लेख करते हुए कवि के सम्बन्ध में निम्न प्रकार अपने विचार लिखे हैं- "आचार्य शुक्ल ने छीहल के बारे में बड़ी निर्ममता के साथ लिखा, संवत् १५७५ में इन्होंने पञ्च सहेली नाम की एक छोटी सी पुस्तक दोहों में राजस्थानी मिली भाषा में बनाई जो कविता की दृष्टि से छ नहीं कही जा सकती। इनकी लिखी एक बावनी भी है जिसमें ५२ दोहे हैं । पञ्च सहेली को बुरी रचना कहने की बात समझ में पा सकती है क्योंकि इसे रवि भिनता मान सकते हैं । किन्तु बावती के बारे में इतने निःसंदिग्ध भाव से विचार किया यह ठीक नहीं है। बावनी ५२ दोहों की एक छोटी रचना नहीं है बल्कि इसमें अत्यन्त उच्चकोटि के ५३ छप्पय अन्य हैं । डा० रामकुमार वर्मा ने छील की पञ्च सहेली का ही जिक्र किया है। वर्मा जी ने श्रीहल की कविता की श्रेष्ठतानिकृष्टता पर कोई विचार नहीं दिया किन्तु उन्होंने पञ्च सहेली की वास्तविकता का सही विवरण दिया है ।" इसके पश्चात् 'राजस्थानी साहित्य का इतिहास' पुस्तक में डा० हीरालाल महेश्वरी ने छीद्दल कवि का राजस्थानी कवियों में उल्लेखनीय स्थान स्वीकार करते हुए उनकी पञ्च सहेली और बावनी को काव्यत्व से भरपूर एवं बोलचाल की राजस्थानी में बहुत ही धनूठी रचनाएं मानी हैं। इसके पश्चात् और भी विद्वानों ने खीहल के बार में विवेचन किया है। डा० प्रेमसागर जैन ने छोहल को सामर्थ्यवान कवि माना है । तथा उनकी बार रचनाओं का परिचय एवं बावनी का नामोल्लेख किया है । लेकिन जैन विद्वानों में डा० कामता प्रसाद, डा० नेमीचन्द शास्त्री आदि ने छोहल जैसे उच्व कवि का कहीं उल्लेख नहीं किया है । जन्म परिचय छील राजस्थानी कवि थे । वे राजस्थान के किस प्रदेश के रहने वाले थे १. मियबन्धु विनोद - पृ० १४३ । २. ३. ४. सूर पूर्व ब्रजभाषा और उसका साहित्य, पृ० १६८ । राजस्थानी भाषा और साहित्य पृ० २५५-५८ । हिन्दी जन भक्ति काव्य और कवि पृ० १०१-१०६ । -
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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