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________________ नेमीस्वर का बारहमासा बैत्र मास एश्तु चैतेहे चैतिहि नय मोरी घणराए वे । नव कलियहो कलियहि भवर मणक्कियडे पाए थे। पइ भवर नव कलियहि भरसक्के नबह पल्लव न सरे । नव चूष मंजरि पिकय लुद्धिय करहि धुनि पंचम सरे । झल्लियउ मलय सुगंध परमलु दक्खिरिणहि पिय सरिय । दरसाइ दरसणु नेमि स्वामी चत्ति नब नर मौलिया | पशाख मास-- ए यहु आइयडा अब दुसहु सखी वइसाम्लो वे । अइवह सेवा इसिजाइ सनेहा माखोरे । भाखो सनेह। जाई वाइस धन्नु नीरु न भावए । दुइ नमरण पावस करहि निसिदिनु चितु भरि भरि भाव ए। फुट्टउ न जे बल्लम वियोनिहि ह्यिा दुनि बजहि घड्या। पइसाखु तुव विणु सुणहु सखिए दुसछु अति धारणु षड्या ।।१०।। जेठ मास एइत जयेहे बेठिहि लव प्रनल झख वाबवे । दिनि दिनकरो दिन कार' दिवसि रयणि सतावे । ससि तव निसि परजल दिन रवि नोह सरि सकियषण । तड़यडह घर तडफडइ जसचर मिलिय अहि बंदण वरण। चच्चउ सिहं दुफ पूरहि मजलु अमु अधिक दहावए । बिललंति राजुलि फिरहु नेपि जिप लूब जेठिहि बाबए ।।११।। प्राषाढ मास एएत पाहे पाढिहि नेमि न आईयवा पाय थे । मनु लागाडा लागा मनुवइ रोग हमारा वे । ममु लाइ इव वइरागि रजमति लियज संबमु तखिये । अष्टौ भवतर नेहु निरजरि सहइ नव तेरह तणे । तिसु तरुणि काला गाउ माहा सिद्धि जिनिवर माइया । पाषान चडिया भए बूचा नेमि पजउ न आईया ॥१२॥ ___11 इति कारहमासा समाप्ता 11 000 १. गुटका-वि० जन मन्दिर नायबी बी ।
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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