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कातन्त्ररूपमाला
रिशति, रुशति आक्रोशति
विशति त्विषति कृषति आश्लिषति देष्टि द्विष्टे दहति द्योतते, शोभते, रोचते आह्वयति भजति भजते श्रयति श्रयते क्षिपति क्षालयति अर्हति
रिश रुश हिंसायां क्रुश आह्वाने गाने रोदने च लिश विच्छ गतौ क्रुश ह्वरणदीप्तयो: विश प्रवेशने त्विष दीप्तौ कृष विलेखने श्लिष् आलिंगने द्विषु अप्रीती दह भस्मीकरणे धुत शुभ रुच दीप्तौ हृञ् स्पर्धायां वाचि भज श्रिङ्ग सेवायां क्षिप् क्षान्तौ क्षल शौचे अर्ह पूजायां ठौक तौक गतौ भ्राज् भ्राष दीप्तौ दीप दीप्तों भाष व्यक्तायां वाचि जीव प्राणधारणे स्फुट परिहासे नट अवस्यंदने कुट छेदने ग्रस कवलग्रहणे पट वट ग्रन्थे राज दीप्तौ भ्रासृट् भ्राट् ग्लास्ट दीप्तौ कास भास दीप्तौ बिइन्धिदीप्तौ तु प्लवनतरणयोः भज श्रीङ् सेवायां त्रपूष् लज्जाय
आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी उभयपदी गरसगटी परस्मैपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी उभयपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी उभयपदी आत्मनेपदी
ठौकते
भ्राजते भ्राषते दीपते भाषते जीवति स्फुटति नटति कुटति असति पठति राजति, राजते भासते, 'भ्राजते, भ्लासते कासते, भासते इन्धते
तरति
भजति, श्रयति त्रपते