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________________ भू सत्तायां एधङ् वृद्धौ डुपचषुञ् पाके पिंधु गत्यां षिधू शास्त्रे मांगल्ये च णीङ् प्रापणे संस् भ्रस् अवासने ध्वंस् गतौ च ग्रथि वकि कौटिल्ये टुनदि समृद्धी वदि अभिवादनस्तुत्योः दंश दशने षज्ज स्वंगे वंज परिष्वंगे रज रागे ष्ठिवु क्षिवु निरसने क्लमु ग्लानी चमु छमु जमु जिमु अदने क्रमु पादविक्षेपे षु त्रु द्रु गु ऋच्छ गम्ल स पृ गतौ इषु इच्छायां यमु उपरमे पा पाने घा गंधोपादाने घ्मा शब्दाग्निसंयोगयोः स्था गतिनिवृत्ती म्ना अभ्यासे दाण् दाने दृशिर प्रेक्षणे प्रापणे परिशिष्ट भ्वादिगण की धातुयें परस्मैपदी आत्मनेपदी उभयपदी परस्मैपदी परस्मैपदी उभयपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी परस्मैपदी आत्मनेपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी परस्मैपदी भवति एधते पचति, पचते सेधति सिद्ध्यति नयति नयते स्रंसते, धंसते ध्वंसते ग्रन्थते, बंकते नंदति वंदते दशति सजति परिष्वजते रंजति निष्ठीवति क्लामति आचामति क्रामति गच्छति इच्छति यच्छति पिबति जिघ्रति धमति तिष्ठति मनति प्रयच्छति पश्यति ऋच्छति
SR No.090251
Book TitleKatantra Roopmala
Original Sutra AuthorSharvavarma Acharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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