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________________ कानन्यरूपमाला अकारादिहसीमानं वर्णाम्नायं वितन्वता। ऋषभेणार्हताद्येन स्वनामाख्यातमादितः ।।२।। तथाहि, अ एव स्वार्थिकेणाऽका तादृग् ऋ ऋषभाभिधा । तदादिर्हावधिः पाठोकारादिहसीमकः ।।३।। अ: स्वरे कश वर्येषु रादिर्य: स तु हान्वितः । अकारादिहसीमाख्ये पाठेऽहं मंगलं पदं ॥४॥ यत्राहपदसंदर्भाद् वर्णाम्मायः प्रतिष्ठितः । तस्मै कौमारशब्दानुशासनाय नमोनमः ॥५॥ बाल्या कुमार्या प्रथमं सरस्वत्याप्यधिष्ठितं । अहं पदं संस्मरंत्या तत् कौमारमधीयते ॥६॥ कुमार्या अपि भारत्या अङ्गन्यासेप्ययं क्रमः । अकारादिहपर्यंतस्ततः कौमारमित्यदः ।।७।। इति भद्रं भूयात् । श्लोकार्थ— श्रीमान् प्रथम तीर्थङ्कर अर्हत प्रभु का यह आख्यात व्याकरण पृथ्वी तल पर विशेषरूप से जयशील होता है। जिसके प्रसाद से यह व्याकरण संपूर्ण अर्थ को सिद्ध करने वाली होवे ॥१॥ अकार को आदि में लेकर 'ह' सीमा पर्यंत वर्गों के समुदाय को कहते हुये श्रीमान् आदिप्रभु ऋषभदेव अर्हत् परमेष्ठी ने आदि में अपने नाम का आख्यात किया है ॥२॥ अर्थात् अर्हत् में वर्गों के समुदाय का प्रथम अक्षर 'अ' प्रथम है और वर्णों का अंतिम अक्षर 'ह' अंत में है। इसलिये आदि में आदिनाथ भगवान् ने 'अर्हत्' इस पद से अपने नाम को प्रगट किया है। तथाहि श्लोकार्थ—स्वार्थिक में अण अक से 'अ' ही है और उसी प्रकार ऋ से ऋषभ नाम आता है। उसको आदि में करके 'हे' पर्यंत जो पाठ है वह आकारादि से ह की सीमा तक है अर्थात् अकार आदि में है और हकार अंत में है ॥३॥ ___स्वर में 'अ' वर्गों में क है और र को आदि में करके जो है वह 'ह' से सहित है । अकार को आदि में लेकर 'ह' पर्यंत पाठ में 'अर्ह पद है वह मंगलभूत पद है ॥ ४ ॥ जहाँ पर 'अर्ह' पद के संदर्भ से वर्गों का समुदाय प्रतिष्ठित है उस कौमार शब्दानुशासन नाम की व्याकरण को बारंबार नमस्कार होवे ॥५॥ . ब्राह्मी और कुमारी ने प्रथम ही सरस्वती से भी अधिष्ठित 'अर्ह' पद का संस्मरण करते हुये इस "कौमार' व्याकरण का अध्ययन किया है ॥६ ।। कुमारी और भारती के अंग न्यास में भी अकार को आदि में करके हकार पर्यत यह क्रम है अत: इस व्याकरण का नाम 'कौमार' व्याकरण है । ७ ।। समाप्त इति भद्रं भूयात् ।
SR No.090251
Book TitleKatantra Roopmala
Original Sutra AuthorSharvavarma Acharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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