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________________ ३३४ कातन्त्ररूपमाला एते डान्ता निपात्यन्ते संज्ञायां । विहङ्गः । तुरङ्गः । भुजङ्गः । अन्यतोऽपि च ॥६३६॥ नाम्नि उपपदे गमेरन्यस्मादपि डो भवति । वारि चरतीति वार्च: हंस: । गिरौ शेते गिरिशः । वरानाहन्तीति वराहः । परिखन्यते परिखा। हन्तेः कर्मण्याशीर्गत्योः ।।६३७ ।। कर्मण्युपपदे आशिषि गतौ च वर्तमानाद्धन्तेड़ों भवति । शत्रु वध्यात् शत्रुहः। क्रोशं हन्तीति क्रोशहः । अपात्क्ले शतमसोः ॥६३८॥ क्लेशतमसोरुपपदयोरपहन्तेडों भवति । क्लेशापहः । तमोपहः । दुःखापहः । ज्वरापहः । विषापहः । अन्यतोऽपि । अन्याण्डः । दापहः । कुमारशीर्षयोणिन् ।।६३९ ।। कुमारशीर्षयोरुषपदयो: हन्तेर्णिन् भवति । कुमारघाती । शीर्षघाती। टग्लक्षणे जायापत्योः ।।६४० ॥ जायपत्योरुपपदयोर्हन्तेष्टम् भवति लक्षणवत्कर्तरि । जायाघ्न: ब्राह्मणः । पतिघ्नी वृषली । अमनुष्यकर्तृकेऽपि च ।।६४१ ।। नाम उपपद में होने पर गम से भिन्न अन्य धातु से भी 'ड' प्रत्यय होता है ॥६३६ ॥ वारि चरतीति-वार्च: हंस: यह वार शब्द रकारांत है। गिरौ शेते.-'गिरिशी' के ई का लोप होकर गिरिश: वरान् आहति इति-वराहः परिखन्यते--परिखा। ___कर्म उपपद में आने पर आशिष और गति अर्थ में वर्तमान हन् धातु से 'ड' प्रत्यय होता है ॥६३७ ॥ शत्रु बध्यात् शत्रुहः यहाँ आशीलिङ् है । क्रोशं हन्ति इति—क्रोशहः । यहाँ हन् धातु का गति अर्थ होने से एक कोश गमन करने वाला। ऐसा अर्थ है। क्ले श तमस् के उपपद में रहने पर अपपूर्वक हन् धातु से 'ड' प्रत्यय होता है ।।६३८ ॥ क्लेशं अपहान्त-क्लेशापहः, तमोपहः, दुःखापहः । इत्यादि। कुमार और शीर्ष उपपद में होने से हन् धातु से णिन् प्रत्यय होता है ॥६३९ ॥ कुमारं हन्ति-कुमारघाती “हस्य हन्तेषिरिनिचो;" ३६७ सूत्र से हन् के ह को घ होकर हन्तेस्त: ५६० सूत्र से नकार को तकार हुआ है । अत: शीर्षघातिन् बना है लिंग संज्ञा होकर विभक्ति आकर शीर्षघाती बना। जाया और पति उपपद में आने से हन से टक होता है और कर्ता में लक्षणवत् कार्य होता है ॥६४० ॥ जायां हन्ति-जायाघ्नः 'गमहन्' इत्यादि ११३ सूत्र से हन् की उपधा का लोप होकर 'लुप्तोपधस्य च' सूत्र ११४ से ह को घ होकर जायाघ्नः बना । ऐसे पतिघ्नी बना । मनुष्य के कर्ता न होने पर भी वर्तमान हन् से टक् हो जाता है ॥६४१ ॥
SR No.090251
Book TitleKatantra Roopmala
Original Sutra AuthorSharvavarma Acharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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