________________
समाधान-ऐसा नहीं है । उनके वचन सूत्र के सःश हैं, अत: उनके सूत्रपने में कोई बाधा नहीं पाती। इस कारण द्वादशांग वाणी भी सूत्र मानी गई है।
पेज्ज-दोस-विहत्ती टिदि-अणुभागे च बंधगे चैत्र । तिण्णेदा गाहाओ पंचसु अत्थेसु णादव्वा ॥३॥
प्रेयो-द्वेष-विभक्ति, स्थिति-विभक्ति, अनुभाग विभक्ति, प्रकर्मबंध की अपेक्षा बंधक, कर्मबंध की अपेक्षा बंधक, कर्मबंध की अपेक्षा संक्रमण इन पंच अर्थाधिकारियों में तीन तीन गाथाएं निबद्ध
१९ मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज चतारि वेदयम्मि दु उवजोगे सत्त होति गाहामो। सोलस य चउट्ठाणे वियंजणे पंच गाहाओ ॥ ४॥ ____ वेदक नामके छठवें अधिकार में चार सूत्र गाथा है। उपयोग नामके सातवें अधिकार में सात सूत्र गाथा हैं। चतुःस्थान नामके आठवें अधिकार में सोलह सूत्र गाथा हैं तथा व्यंजन नामके नवम अधिकार में पंच सूत्र गाथा है। दसणमोहस्सुवसामणाए पण्णारस होति गाहारो। पंचेव सुत्तगाहा दंसणमोहस्स खवणाए ॥ ५ ॥ ___दर्शनमोह की उपशामना नामके दशम अधिकार में पंचदश गाथा है। दर्शनमोह की क्षपणा नामके एकादशम अधिकार में पंच ही सूत्र गाथा है। लद्धी य संजमासंजमस्स लद्धी तहा चरित्तस्स । दोसु वि एक्का गाहा अट्ठवुवसामणद्धम्मि ॥ ६ ॥
१. 'बंधग' इति चउत्थो अकम्मबंधग्गणादो । पुणो वि 'बंधगे'.
ति आवित्तीए कम्मबंधग्गहणादो पंचमो प्रत्याहियारो (पृ. २९)