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1) जम्मं दुक्ख जरा दुख रोमाणि मरणाणि य । अहो दुक्खो डु संसारो जन्म फीसंति जंतवो ॥ १५ ॥
The Samsāra is typically described thus :
INTRODUCTION
2)
इयं च अणवदग्गं दीमक चाउरतं संसार कंतारं ' I
8 ) जद्दा अस्साविण नावं आइ अंधो दुरूहिया । इच्छई पारमागंतुं अंतरा य विसीयइ ॥ निट्टी
एवं
संपला अणुपरियर्हति' 14
4) सूई जहा ससुत्तान नस्सई कयवरम्स पहिया दि । जीवो वि तह ससुत्तों न नस्सई गओ कि संसारे ॥ इंद्रियवियपत्ता पति संसारसायरे जीवा । एक्खि व छिम्रपक्खा सुसील गुणपेहुणबिणा ॥ 5) पीयं यणाच्छ्रीरं सागरसलिला बहुतरं होगा । संसारस्मि अर्णते माणं ममाणं ।
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बहुसोधि मए रुष्णं पुणो पुणो तासु तासु जाईषु । नयणोदयं पि जाणसु बहुवयरं सागरजलाको | नत्थ किर सो परसो लोए बालग्गकोडिमिनो वि। संसारे संसरंतो जरथ न जाओ ममो वा वि ॥ जुलसी किल लोग जोगीपमुद्दाई सयलहस्साई । प्रदेश छत्तसमुप्पो' ॥
iv-v) The themes of chata and anyaten go together. The Atman is essentially lonely or single throughout its transmigratory journey; and one has to realize one's responsibility and oneself as separate frou everything else, from the subtle Karman to gross body and other possessions and relatives. That the soul and body are different is the central theme of the discussion between king Paesi and the monk Kesi in the Rayapaseṛaijjaṁ. Incidental passages on these topies are numerous in the canon:
1) सम्बं हिं परिभाय एस पाए महासुणी, अध्यच सम्यभो संग 'न मदं मत्थि' इति । इति 'गो महमसि' जयमाणे पुत्य विश्ट अणगारे सव्वओ मुंडे रीयए ।
2 ) न तस्स दुक्खं विभयंति नाइओ न मित्तवार न सुधा न बँधवा ।
कोस दो दुक्कसारमेध अशुजाइ कम्मं ॥
3) एकोनत्थि मे कोई न चाहमात्र कस्सई एवं अदीणमणसो अयाणमणुलाए ॥
को उपज जीवो को व वित्रज । एकस्स होइ मरणं एको सिज्झइ नीरभो ॥ कोकरे कं फलमव तस्सेक समजुवइ । को जायइ मरह परलोयं प्रकओ जाइ ॥ प्रो में सास अप्पा नाणदंसणसंसुओ सेसा मे बाहिरा भावा सन्वे संजोगलक्स्वणा ॥ ral करे कम्मं को अणुवह दुकविवागं । को संसद जिलो जरमरणचउग्मगु बिल स 4) अनो जीवो अनं सरीरं । तम्हा ते जो एवं उबलति ।
5) अनं इमे सरीरं अनो जीवति नियमई। दुक्खपरिक्रिलेसकरं छिंद ममसे सरीराम ॥ XIX, also XXIX, 22,
1) Uttardeliayagn
2 ) Styngoderma 1. 1. 2. 31-22.
3) Bhatta-parinud, 86.
4 ) Hnhāpratyākhyānes 37-40, 5) Ayuranga 1, 6. 2.
6 ) Uttaradhyaastaritra XIII 23.
T) Huhiyyrat.yrikhaayana 13-16, 44.
8) Sayagadam 11. 1. 9. 29, p. 70, ed. P. L. VAIDYA, Poona 1928. 9) Treenadrates-seyiiligm 100.
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