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२०. लोकानुप्रेक्षा
दोइन्द्रिय ।
इन्द्रिय । चौइन्द्रिय | पवेन्द्रिय
=५८३२ समभाग ४४६५६१
४॥४॥६५६७
४१४६६५६१
४४०६५६१
-४
देयभाग
=२५९२ ४४६५६१
=२८८ ४१४६५६१
४१६५६१
VI१६५६१
इस समभाग और देखभागोंको जोड़नेसे दोइन्द्रिय आदि जीवोंके प्रमाणकी संदृष्टि इस प्रकार होती है
| दोइन्द्रिय | तेइन्द्रिय चौइन्द्रिय | पवेन्द्रिय
30२४ ६१२० । ५८६४ | =५८३६ प्रमाण
४४६५६१४|४१५६५४४६५६१] [४६५६
अब पर्याह श्रस जीवोंके प्रमाणकी संदृष्टिकन खुलासा करते हैं-संख्यातका चिह्न पांचका अंक हैं । संख्यातसे भाजित प्रतरांगुलका भाग जगत्प्रतरमें देनेसे पर्याप्त स जीवोंका प्रमाण आता है । वह इस प्रकार है । इसमें पूर्वोक्त प्रकारसे आवलीके असंख्यातवें भागका भाग देकर बहुभाग निकालना चाहिये और बहुभागके चार समान भाग करके तेइन्द्रिय,दोइन्द्रिय, पञ्चेन्द्रिय और चौइन्द्रियको देना चाहिये । शेष एक भागमेंसे बहुभाग क्रमसे तेइन्द्रिय, दोइन्द्रिय और पथेन्द्रियको देना चाहिये तथा बाकी बचा एक भाग चौइन्द्रियको देना चाहिये । उनकी संदृष्टि इस प्रकार होती है
तेइन्द्रिय | दोइन्द्रिय
पथेन्द्रिय
चौइन्द्रिय
%3Dt
समभाग
४।९१४
४१९।४
४।९।४
४/५/४
८
देयभाग
४.९१९ ४।९४९९
१४॥९९९९
इनको पूर्वोक्त प्रकारसे समष्छेद करके मिलानेपर पर्याप्त त्रस जीवोंके प्रमाणकी संदृष्टि इस प्रकार होती है