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कर्मप्रकृतिः [४२. अप्रत्याभ्यानकप्रायाणां कार्यम् ]
अप्रत्याख्यानक्रोधमानमायालोमा वेशसंयमं प्रतिबध्नन्ति । [ ४३. प्रत्याख्यानकापायाणां कार्यम् ]
प्रत्याख्यानक्रोधमानभायालोभास्सकलसंपमं प्रतिबध्नन्ति । [ ४४, संज्वलनकषाणां कार्यम् ]
संज्वलनकोधमानमायालोभा यथाख्यातचारित्रं निवारयन्ति । [ ४५. अनन्तानुबन्धिकपायाणां शनायः ]
त्रानन्द गुगन्धिः सोमसापालामा थाक्रमं शिलाभेदविलास्सम्भवेणुमूलक्रिमिरागकम्बलसदृशास्तीव्रतमशक्तयः ।
४२. अप्रत्याख्यानावरण कषायोंका कार्य
अप्रख्यानावरण क्रोध, मान, माया, और लोभ देशसंयमको रोकते हैं। ४३. प्रत्याख्यानावरण कपायोंका कार्य
प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ सकलचारियको
रोकते हैं। ४४, मंचलन कषायोंका कार्य
संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ यथास्पात चारित्रको नहीं होने
देते हैं। ४५. अनन्तानुबन्धि कपायोंकी शक्ति
अनन्तानुबन्धि क्रोध, मान, माया और लोभ कषाय क्रमसे शिलाखण्ड, शिलास्तम्भ, वेणुमुल (बाँस को जड़ ) और क्रिमिराण कम्बल की तरह तीव्रतम शतिवारी होती है ।
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