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श्री कल्याणमन्दिरम्तोत्र सार्थ
जे तुब चरन कमल तिहुंफाल, सेवहि नजि मायाजजाल। भाव-भगति मन हरष प्रपार, धन्य धन्य जग तिन अवतार । ३४ ऋद्धि- अह्रींग्रहणमो भूतवाहावहारयाण विट्ठोसहिपत्ताण ।
मंत्र--ॐ नमो अरिहंताण ॐनमो भगवद महाविजज्जाए सत्तठाए मोर हुलु हुलु बुलु चुलु मयूरवाहिनीए स्वाहा।
विधि-पौष कृष्णा १० ( गुजराती मगसिर कृष्णा १० वी ) के दिन निराहार रहे कर इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक १००८ बार जप करे। परदेशगमन, व्यापार तथा लेन-देन के समय उक्त मन्त्र का ७ बार स्मरण करने से लक्ष्मी और अनाज का लाभोता है।
ॐ ह्रीं त्रिकालपूजनीयाय श्रीजिनाय नमः ।
Thuse who devore their time in worshipping
God are sorting to
Lord of the universe blessed are those persons alone: who. by invingJ Isidee their other activities worship here the part of Thy feet, oh mighry one, torce a day ( tawn na and sunsat ) itcording to the prescribed rules, with the different parts of their bodies covered up with bristling hurripiration of devoilon. ( 34 )
१-- जिनका मल औषधिरूप परिणत हो गया है, उन जिनों को नमस्कार हो।