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यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन प्रादि सहित
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ज्ञाने त्वयि स्फुरति विसविक महेतु
अज्ञानवत्यपि सदैव कचिदेव,
विश्वापि अनपालक दुर्गतस्त्वं,
| indiyaneya
उलोक ३० ऋद्धि-ॐ हो भह णमो भद्दा ( बला x ) प । मन्त्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू प्रौ (प्रो ! ) नमः स्वाहा ।
गुणा---परिपक्व ( कच्चे ) मिट्टी के बड़े द्वास कुए में पानी निकाला जाता है।
फल-दक्षिण मधुरा की गुणवती नाम को स्त्री ने इस स्तोत्र के ३० ३ लोकसाहित उक्त महामन्त्र को पारापना करके मिट्टी के काले पड़े से पानी निकाल कर दर्शकों को पारयचकित किया था।