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यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित
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दक्षम्य सम्भवप नन् कर्णिकाया.||१४||
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पुताय निर्मरकरुयदि बा किमन्य
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त्या योगिनो जिन स्टा परमात्मा
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श्लोक १४ ऋद्धि-दीप णमोझ {झ?) सण (भय) झूस (भव?णाए। मन्त्र- नमो (महाराति?) कालरात्रि (अये ? नमः स्वाहा ।
गुल-शत्रु क्रोध होड़ कर बरभाव तज देता है और निर्मल विचार मामा बन जाता है । अपना उसका नाश हो जाता है।
फल-दतिया राज्य के राजकुमार भद्र ने अपने मात्र राजा भीम का वैरभाव पौदहवें काव्यमाहित बक्त मंत्र के प्रारापन से दूर कर अपना परममित्र बना लिमा पर।