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जीवसम्मस
हैं। वर्णादि के भेद से अपकाय भी अनेक प्रकार के होते हैं। सूक्ष्म अप्काय के कोई भेद नही होते हैं।
विवेचन - अप् अर्थात् पानी ही काया है जिनकी ऐसे जीव अप्काय कहे जाते हैं। इनके अनेक भेद बताये गये हैं--- जैसे आकाश से गिरने वाला पानी, कूएँ, बावड़ी, तालाब एवं समुद्र का पानी एवं स्त्रोतों का पानी आदि अनेक प्रकार का पानी जानना चाहिए।
तेजस्काय के भेद
इंगाल जाल अच्वी मुम्मुर सुद्धागणी व अगणी व वपणहि य भेया सुहुमाणं नत्थि ते भैया ।। ३२।।
गाथार्थ - अंगारे, ज्वाला, चिनगारी, भोभर, शुद्धाग्नि आदि और इनके वर्णादि के भेद से बादर अग्निकाय के अनेक भेद हैं। सूक्ष्म अग्निकाय के कोई भेद नहीं होते हैं।
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विवेचन - अग्नि ही हैं काया जिनकी, उन्हें तेजस्काय कहा जाता है। उल्कापात, आकाश में चमकने वाली विद्युत् आदि वे सभी वस्तुएँ जो प्रज्वलित हैं, तेजस्काय के ही रूप हैं।
वायुकाय के भेद
वाजम्मा उक्कलिमंडलिगुंजा महा घणतणू या I वण्णाईहि य भेया सुहुमाणं नत्थि ते भेया १।३३।।
गाथार्थ - उद्भ्रामक, (ऊपर की ओर जाने वाली वायु); उत्कालिक (नीचे की ओर बहने वाली वायु), मंडलिक (गोलाकार चलने वाली वायु); गुंज (गुंजार करने वाली वायु); महावायु (तूफानादि) घनवात (ठोस वायु) तनुवात (हल्की वायु ) आदि वर्णादि के भेद से बादर बायुकाय के अनेक भेद जानना चाहिए। सूक्ष्म वायुकाय के कोई भेद नहीं होते हैं।
वनस्पतिकाय के भेद -
भूलग्गपोरबीया कंदा तह खंथनीय बीयरुहा ।
संमुच्छिमा य भणिया प्रत्तेय अणंतकाया य । । ३४ । ।
गाथार्थ - मूलबीज, अग्रबीज, सम्मूच्छिम आदि वनस्पतियों के भेद हैं। बादर वनस्पतिकाय के हैं।
पर्वबीज कंदबीज, स्कन्धबीज, बीजरुह प्रत्येक और अनन्तकाय — ऐसे दो प्रकार
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