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________________ मालाचरण चौदहमार्गणा गा इंदिए य काए जोए वेए कसाय नाणे य । संजम दंसण लेसा भव सप्मे सन्नि आहारे ।।६।। गावार्थ-१. गति, २. इन्द्रिय, ३. काय (शरीर), ४. योग, ५. वेद, ६. कषाय, ७. ज्ञान, ८. संयम, ९. दर्शन, १०. लेश्या, ११. भव्यत्व, १२. सम्यक्त्व, १३, संज्ञा तथा १४. आहार—ये चौदह जीव मार्गणाएं हैं। विवेचन- इन चौदह मार्गणाओं से मोक्ष-तत्त्व की विचारणा इस प्रकार करनी चाहिए १. गति- चार गतियों में से मोक्ष में ले जाने वाली गति कौन सी है? मनुष्य गति। २. इन्द्रिय- कितनी इन्द्रियो वाले जीव मोक्ष जा सकते हैं? पञ्चेन्द्रिय जीव ही मोऽय ला सकते हैं। ३. काय- षट्जीवनिकायों में कौनसी काया मोक्ष की प्राप्ति में सहायक है? त्रसकाय। ४. योग-किस योग से जीव मोक्ष जाते हैं? किसी भी योग से नहीं, अपितु अयोगी होकर ही जीव मोक्ष जाते हैं। ५. वेद-मोक्ष अवस्था में कौन सा वेद (वासना-भाव) रहता है? मोक्ष अवस्था में कोई भी वेद (वासना-भाव) नहीं होता है। स्त्री, पुरुष और नपुंसक सम्बन्धी वासना से रहित होकर ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है। ६. कवाय- मोक्ष में जाने वाले को कितने कषाय रहते हैं? मुता म. में कोई भी कषाय नहीं रहते। ७. ज्ञान-मोक्ष में कौनसा ज्ञान है? मोक्ष में मात्र केवलज्ञान (अनन्त-भाम) होता है। ८. संयम-किस प्रकार के संयम या चारित्र से युक्त होकर जीव मोक्ष जाते हैं? यथाख्यात-चारित्र से युक्त होकर ही जीव मोक्ष जाते हैं। ९. दर्शन- मोक्ष में कौन सा दर्शन होता है? मोक्ष में मात्र केवलदर्शन है। १०. लेश्या-मोक्ष में कौनसी लेश्या होती है? मोक्ष में कोई भी लेश्या नहीं होती। ११. भव्य-मोक्ष में भव्य जीव जाते हैं या अभव्य? मात्र भव्य जीव ही मोक्ष जाते हैं।।
SR No.090232
Book TitleJivsamas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1998
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size5 MB
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