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________________ स्पर्शन-द्वार १५९ वैक्रिय सन्धि बाला जीत अगो जीर्ण शरीर को पुष्ट एवं सुन्दर बनाने की या उसकी विकुर्वणा करने की इच्छा से अपने आत्म-प्रदेशों को दण्ड के आकार में बाहर निकालता है। उस दण्ड की चौड़ाई और मोटाई तो शरीर परिमाण होती है, किन्तु लम्बाई संख्यात योजन परिमाण हो सकती है। वह आत्म-प्रदेशों से ऐसा शरीर बनाकर अन्तर्मुहूर्त तक उसमें टिकता है। उतने समय में पूर्वबद्ध वैक्रिय शरीर नामकर्म के स्थूल पुद्गलों को निर्जरित कर देता है और अन्य नये तथा सूक्ष्म पुद्गलों का ग्रहण कर लेता है। यही वैक्रिय समुद्घात है। ५. तेजस् समुद्घात तपस्वियों को प्राप्त होने वाली तेजोलेश्या का औदारिक शरीर से बाहर निकलना तेजस् समुद्घात होता है। जिसके प्रभाव से तेजस् शरीर नाम कर्म के पद्गल आत्मा से अलग होकर बिखर जाते हैं। तेजोलेश्या की लब्धिवाला जीव सात आठ कदम पीछे हटकर घेरे और मोटाई से शरीर परिमाण एवं लम्बाई से संख्येय योजन परिमाण आत्म-प्रदेशों के दण्ड को शरीर से बाहर निकालकर, जिसके प्रति क्रुद्ध हुआ है, उसको जलाकर तेजस् शरीर नाम कर्म के बहुत से पुद्गलों का क्षय करता है, इसे ही तेजस् समुद्घात कहते हैं। ६. आहारक समुदपात यह शरीर चतुर्दशपूर्वधारी साधु के होता है। आहारक शरीर की रचना द्वारा होने वाला समुद्घात आहारक समुद्घात कहलाता है। आहारक लम्धिधारी साधु आहारक शरीर निर्माण की इच्छा से चौड़ाई और मोटाई में शरीर परिमाण और लम्बाई में संख्येय योजन परिमाण अपने आत्म-प्रदेशों के दण्ड को शरीर से बाहर निकालकर पूर्वबद्ध आहारक नामकर्म के कर्म पुद्गलों की निर्जरा कर लेता हैं इसे आहारक समुद्धात कहते हैं। ७. केवली समुद्घात अन्तर्मुहूर्त में मोक्षप्राप्त करने वाले केवली भगवान् के समुद्घात को केवली समुद्यात कहते हैं। वह वेदनीय, नाम और गोत्र कर्म को विषय करता है। अन्तर्मुहूर्त में मोक्ष प्राप्त करने वाले केवलज्ञानी अपने तीन अघाती कर्म (वेदनीय, नाम एवं गोत्र) की स्थिति आयु कर्म के बराबर करने के लिए यह समुद्घात करते हैं। इसमें आठ समय लगते हैं। केवलीसमुद्घात (काल) का विशेष विवेचन गाथा १९४ की व्याख्या में किया गया है, इच्छुक पाठक उसे वहाँ देखें।
SR No.090232
Book TitleJivsamas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1998
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size5 MB
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