SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * जिनसहस्रनाम टीका - ६५ ** मोक्षे सुथायां पानीये यज्ञशेषेप्ययाचिते। गोरसस्वादुनो ग्धावाकाशे धृतहधयोः॥ रसायनेऽन्नेच स्वर्णेऽतथामृतमुदीर्यते - भरण को मृत कहते हैं, आपको मरण नहीं है अत: आप अमृत हैं। अथवा आप अमृत हैं, क्योंकि आप जरामरण निवारक हैं। संसार भोगों की तृष्णा आपने अपनी तथा भव्यों की दूर की है : आप का हैं। स्कमाया से निर्मल होने से आप अमृत जल हैं। अनन्त सुखदायक होने से आप अमृत-मोक्ष हैं। याचना के बिना स्वभाव से आपकी प्राप्ति होती है। अत: आप यज्ञशेष के समान हैं। यज्ञशेष को भी अमृत कहते हैं। यज्ञ करने पर, पूजा करने पर जो आनन्दानुभव होता है, उसे भी अमृत कहते हैं। आकाश को भी अमृत कहते हैं, क्योंकि जिनेश्वर का आत्मा कर्म-मल-कलंक रहित होने से आकाश के समान है। मोक्ष, सुधा, पानी, यज्ञशेष, अयाचित, गोरस, स्वादु भोजन, घृत, हृदय, रसायन, अन्न और स्वर्ण को अमृत कहते हैं। हविः = हुयते निजात्मनि लक्षतया दीयते हविः, 'अर्चि-शुचिरुचिह स्पृहि-छादि-छर्दिभ्यः इस = निज आत्मा में वा ज्ञानयज्ञ में अशुद्ध आत्मपरिणति को होम देने से आप हवि हैं। हू' धातु होम अर्थ में है और अर्चि, शुचि, रुचि, हू, स्पृहि, छादि और छर्दि धातु से इस् प्रत्यय होता है और 'हू' का हो तथा हो का हव होकर हवि बनता है। होम की अग्नि हवि कहलाती है। भगवान ने अपनी आत्मा में अपनी विभाव परिणतियों का होम किया था, जलाया था अतः वे हवि हैं। व्योममूर्तिरमूर्तात्मा निर्लेपो निर्मलोऽचलः। सोममूर्तिः सुसौम्यात्मा सूर्यमूर्त्तिर्महाप्रभः ॥७।। अर्थ : व्योममूर्ति, अमूर्तात्मा, निर्लेप, निर्मल, अचल, सोममूर्ति, सुसौम्यात्मा, सूर्यमूर्ति, महाप्रभ ये नव नाम जिनेश्वर के हैं। व्योममूर्तिः = व्योम्न आकाशस्य मूर्तिराकारी यस्य स व्योममूर्तिः = आकाश के समान जिनदेव का स्वरूप है अत: वे व्योममूर्ति हैं। अर्थात् आकाश के समान निर्मल होने से आप व्योममूर्ति हैं।
SR No.090231
Book TitleJinsahastranamstotram
Original Sutra AuthorJinsenacharya
AuthorPramila Jain
PublisherDigambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy