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________________ से आशीर्वाद है कि ये दीर्घायु हो तथा अन्य अनेक ग्रन्थों की भाषा टीका करें, तत्त्वों का विवेचन कर अपना कल्याण करें, शीघ्र ही आर्यिका व्रतों को धारण कर स्त्रीपर्याय को छेदकर मुक्तिपद को प्राप्त करें। इस ग्रन्थ के अर्थ सहयोगी श्रीमान् हरकचन्दजी के पौत्र एवं भंवरीलालजी के सुपुत्र श्रीपाल चूड़ीवाल तथा उसकी धर्मपत्नी श्रीमती कुसुमलता को भी शुभाशीर्वाद । वे इसी तरह स्वोपार्जित धन को सत्कार्यों में व्यय कर उसे सार्थक बनावें क्योंकि जो धन दान, पूजा, शास्त्रप्रकाशन में व्यय होता है वही सार्थक है। और वही पर-भव में साथ जाने वाला है। इस कार्य में अनुमति देने वाले इसके बड़े भ्राता कैलाशचन्द व कमलकुमार तथा लघु भ्राता महीपाल और भागचन्द व सर्व परिवार को आशीर्वाद । - आर्यिका सुपार्श्वमती 卐卐卐
SR No.090231
Book TitleJinsahastranamstotram
Original Sutra AuthorJinsenacharya
AuthorPramila Jain
PublisherDigambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size5 MB
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