SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिदत्त चरित ने निमन्त्रण पाकर भाग लिया। शीघ्र ही पांच प्रकार के बाजे बजने लगे तथा बहुत से परिजन बारात में चले ||१२०॥ ૪૪ कोई बराती सुखासरण (पालकी) पर चढ़े जा रहे थे तथा कोई चोटों पर काठी रख करके चले । कोई शीघ्र जाने वाले वाहनों पर चले और किसी ने ऊँटों पर पलाणा सजाया । परियगु - परिजन । उछउ उत्सव | की पालकी । सुख स एक प्रकार [ १२९ - १२३ } एकति डाडी डोला जाहि एकति हस्त as विगसाहि ॥ एकति बाहि विवाणु वइठ, सबु मिलि पावुरिहि पइठ ॥ चंपापुर कोलाहलु भयो, आगइ होनि far मिलिज लोग भउ हस्त कल्लोलु, उपर परते बेहि आइयो । तो ॥ - अर्थ :- कोई डॉडी के डोले में चल पड़े। कोई हाथी पर चढ़े हुए प्रसन्न हो रहे थे । कोई विमानों में बंट कर जा रहे थे और के इस प्रकार I सब मिलकर चम्पापुरी की ओर चले ।। १२२ ।। चंपापुरी में कोलाहल मच गया । विमल सेठ अगवानी के लिये आगे श्रया । लोग जब आपस में मिले तो शोरगुल एवं प्रसन्नता छा गयी और वे एक-दूसरे को तांबूल देने लगे ।। १२३ ।। डोला - बोल । तबोल हल्ला हल्ला । -T ताम्बूल-पान: [ १२४-१२५ ] भर विमलु तुम्हि सो करहु, कुमरु वराल सबु जेवर चल | उठ मुहुङ जेबहु जिवणार, पुनि तो होड़ लगुण की जाए ||
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy