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________________ ढालि = गिराना – ३८६, ४२०, गाइ - नाम - ३१, ४४, हीकुलि = - ४५७, गाउ . नाम - ५१५, गागा = ज्ञान - १८, ५२३, ५३८, ५७.१, - -४८८, गावंत = ज्ञानवंत - ५२५, गामि = नपिनाथ – ७, णामे:- नाम - ५२७, एमिउ :: मशार क ... ४:८. शासत - नाट करना -- १४१, णमोयार = णमोकार मंत्र - १५८ णासि = नाश करना - ७, गाय 3 - ५२०, रगाह - नाथ – ३१०,४८२, गगायण - नयन -६०,४८६, गाहिशा रेशम = नामि नरेश्वर - १, शायणु = नयन - ३९७, ४८४, रगाहो = नहीं - १५४, सायिर ! = नगर - २२२, २६३, गाह = नाथ -- ४२०, ४२१, गायरी = नगरी- २६६, ३४५ ।। । रणांकर = अपगधी - ३५, णयह = नगर -- ४०, ४७२, रिशमासि = निवास – ५२७, गपर - ४२६, ५१४, णित्रकाररिस = बिना कारण - ५४५, स्य रइ - - ४२७, गिाम्मवियः = निर्माण करना -३१३ मारागाह = - ४७१, णिय :- निज, नित्य -- ५३,६८, गारयहि = - ४२७, ११०, १५८, २२१, ३१८, ५४४, गगरवइ = नरपति - ४१६,४३६ | शिवमणि = निज मन - १६२, ४१६, पर = नर - ३४, गपरेंद ..: नरेन्द्र – २६८, गियरे = पारा - ७, गाव – नौ - १३५, णियागण = निश्चय – ३१४, ५३३, गाबह = नमस्कार वरना .. ८, गिसम = निराम – ५०१, स्वगह = नवग्रह -१३, गिरु = निश्चय में-५८,११६,२१५, हि :: नमस्कार - ३, ४४, __४१६, ५.१६, ५२६, ५४५, गादि - ४२१॥ रिशरंजन = -४६२, गानिधि - नमस्कार -१, गिण सिंह = -५६४, गाहवरा - अभिषेक - ५२८, शिसुण - सुनो - ४७०, ५३६, गृह = नख - ६५, मिसुराई = -२, गाहर = -- २१: सिसुणहु = गुनों - ३२,२५६, गादि निश्चय से - १२, णिसुणहं - सुनो - ४०४, गाह - नहीं - ४०२, णिमुरिण = - ८३.१३४, ४०६,
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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