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________________ २७८ अवसेरि = चिन्ता - २३८,२६३. | अणुदर प्रमुन्दर - ५१०, अबका = दूर करना - २०८ नहर = आज - २२३, प्रवास = महल - १२०,२३३, ग्रहः = थी – १६५.३३०,४६७ स्थान - ५०४ | अनिसि = रातदिन - ५१ प्रवासहि = प्रायास - ३१ ग्रहल = निष्फल - ३०३ अवासु = अावास - ४१ प्रहारु अवहोइ = - ४६७ अहार) = अाहार - ४०६ अयंती = - ५२७ अहिउ = -- ३६ अविचार - विचार रहित - २५, ग्रहितांदण = अभिनन्दन - २ हितावित - होगः -- ११६ अम = ऐसे - १११ आहो - - ७२,१११,१२८,१५७, असर = शरण रहित - ४ अज्ञा - मर्यादा - ६६ अमराल = - ४५,२०२ अंकवाल = अंकपाली - १७० अगरानु) = निरन्तर - ६५,१७५ ग्रंकुस = अंकुश - ३४५,३५८, ४३७, अग = शरीर - ५७,८२,१०६.२८२ असिफल = तनवार - ४५५ | अंगवः = अंगीकार करना - ४५४ असिवरु = तलवार - २२८ | अंगु :: - २२४,४२८,४५६ असीस = अशीष - १५३ ।। ४४८,४४२,४६६,५१०, असोइराय = अशोक राजा २७६ अंचलु = अचन - ७६ असोक = अशोक - १६०,१६६ : अछुइ विना किसी के छुए हुए – ५३ असोकमिरी = ग्वणोक थी - २६८। घजणि ] = अजनी गृटिका १५३, असोग = अशोक - २८२, २६३ | अंजनी] = - २८८.३६३, असोगसिरी = अशोश्री - २८१ । अंजरगोवा = अंजनवटी - १५४, असोगह = अशोक - ३०२ | अजगु = - १५२ असंख = ग्यसंख्य - १७१,४५१ | अडदड = एक गढ़ी का नाम - ८६ ४५२,४६० । नत = सीमा,वार - १७ असंख्य = - ४५१, । असयाल = अतसमय - ५१६, असंखइ = असंख्य - ४६२, अतर = - १६६ प्रसी = अस्सी (८०) - ४०६, | प्रतराल = दूरी, बीचमें - १८६ अशुत् = अशुम - ५४८,
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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