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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
विण्णासं करेदिति । एवमुवरि वि जत्थ जत्थ मायादीणं पढमट्ठिदी विसेसाहिया ति मणिहिदि तत्थ तत्थ उच्छ्ट्ठिावलियमेत्तेण विसेसाहियत्तमवहारेयव्वं ।
* पंडिवदमाणयस्स लोभवेदगद्धा विसेसाहिया ।
$ २९७. केत्तियमेत्तेण १ ओदरमाणयस्स किंचूणसुहुम सांपराइयद्धामेत्तेण । किं कारणं ९ ओदरमाणसंबंधिसुहुमबादर लोभवेदगद्धाए संपिंडिदाए इहग्महणादो । उवसामगस्स लोभवेदगद्धा किमेत्थे द्देसे विसेसाहियभावेण णिवददि आहो परिवद - माणयस्सं मायामाणवेदगद्धाहिंतो उवरि णिवददिति णादूण मणियव्वं, सुत्ते तण्णि६ सदसणादो ।
* पडिवदमाणगस्स मायावेदगद्धा विसेसाहिया ।
$ २९८• किं कारणं १ उवरिमअद्धाहिंतो हेडिमअद्धाणं जहाकमं विसेसाहियभावेणावाणदंसणादो ।
* तस्सेव मायावेदगस्स छण्हं कम्माणं गुणसेढिणिक्खेवो विसेसाहिओ ।
२९९. केत्तियमेत्तेण ? आवलियमेत्तेण ।
चार संज्वलनसम्बन्धी अपने-अपने वेदककालसे उच्छिष्टावलिप्रमाणकालको अधिक करके प्रथम स्थितिकी रचना करता है। इसी प्रकार ऊपर भी जहाँ-जहाँ मायादिककी प्रथम स्थिति विशेष अधिक है ऐसा कहेंगे वहां-वहां उच्छिष्टावलिमात्र काल विशेष अधिक है ऐसा निश्चय करना चाहिये ।
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* गिरनेवालेका लोभवेदककाल विशेष अधिक है ।
६ २९७. शंका - कितना अधिक है ?
समाधान-उतरनेवालेके कुछ कम सूक्ष्मसाम्परायिकके कालप्रमाण अधिक है, क्योंकि उतरनेवालेके सूक्ष्म और बादर लोभवेदककालको मिलाकर पूरे कालको यहाँ ग्रहण किया गया है । उपशामकका लोभ वेदककाल विशेष अधिक होकर क्या इसी स्थानमें प्राप्त होता है या गिरनेवाले जीवके माया - मानवेदककालसे ऊपर प्राप्त होता है इसे जानकर कहना चाहिये, क्योंकि सूत्रमें उसका निर्देश देखा जाता है ।
* गिरनेवालेका मायावेदक काल विशेष अधिक है ।
$ २९८. क्योंकि उपरिम कालोंसे नीचेके कालोंका यथाक्रम विशेष अधिकरूपसे अवस्थान देखा जाता है ।
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उसी मायावेदकके छह कर्मोंका गुणश्रेणिनिक्षेप विशेष अधिक है ।
$ २९९. शंका - कितना अधिक है ?
समाधान - मात्र एक आवलिकाल अधिक है ।