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-: आभार :
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन संघ, चौरासी, मथुरा को प्रमुख आर्ष ग्रन्थ "कसायपाहुडं" जयधवल महाधवल को सोलह भागों में प्रकाशित करने का गौरव प्राप्त हुआ है। इसके प्रकाशन का शुभारंभ 6 दशक पूर्व हो गया था, जिसके अन्तिम दो भाग 15 और 16 को प्रकाशित करवाने में अर्थाभाव की कमी महसूस की गई। बाद में सोलहवां भाग का प्रकाशन ब्र० श्री हीरालाल खुशालचन्द दोशी, मांडवे (सोलापुर) के आर्थिक सहयोग से किया गया। 16 भागों का वितरण क्रमशः न होने के कारण प्रथम दो और चार भाग को मथुरा में ही पुनर्प्रकाशन कराना पड़ा। अब जयधवला के 10 भागों का प्रकाशन अनिवार्य समझ कर श्री रतनलाल जी जैन, वन्दना पब्लिशिंग हाउस, अलवर (राज.) के सहयोग और परामर्श से |इनका पुनर्प्रकाशन किया जा रहा है। इनके प्रकाशन में आर्थिक योगदान के लिये हमारे निम्न दानदाताओं ने उदारतापूर्वक दान देकर इस कार्य में अपना अमूल्य सहयोग दिया है इसके लिए संघ इन सभी सधर्मी बन्धुओं का आभार प्रकट करता है।
श्री बलवंत राय जैन, भिलाई (म. प्र. )
श्री स्वरूप चन्द जैन (मारसंस ), आगरा (उ. प्र. )
श्री रतन लाल जैन, अलवर (राज.)
श्री ताराचन्द जैन, अलवर (राज.)
श्री ओम प्रकाश जैन, कोसीकलाँ (उ. प्र.)
श्री भोलानाथ जैन, आगरा (उ. प्र. )
श्री निर्मल कुमार जैन, आगरा (उ. प्र.) श्री प्रदीप कुमार जैन, आगरा (उ. प्र.)
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श्री ज्ञानचन्द जी खिन्दूका, जयपुर (राज.) 10. कान्ता बहन मनुभाई शाह, सोजीत्रा (गुजरात) 11. श्री मनुभाई छगन लाल शाह, सोजीत्रा (गुजरात)
प्रधानमंत्री ताराचन्द जैन 'प्रेमी'