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गाथा १२३ ]
चरितमोहणीय व सामणाए करणकज्जणिद्देसो
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सको उदीरेदुं, ण एवमेत्थ सक्किज्जदे । किंतु अंतरादो पढमसमयकदादा पाये जाणि कम्माण बज्झति मोहणीयं वा मोहणीयवज्जाणि वा णाणावरणादीणि ताणि कम्माणि छसु आवलियासु समइक्कंतासु सक्काणि उदीरेढुं । जाव बंधसमय पहुंडि छ आवलियाओ पुणाओ ण गदाओ ताव णो उदीरेदुं सकाणि त्ति भणिदं होइ । जहा अंतरकरणादो
सव्वत्थ बंधावलियादिकंतस्स उदीरणापाओग्गत्तणियम सहावपडिबद्धो, एवमेदम्मि विविसये बंधसमय पहुडि छावलियादिक्कंतस्स उदीरणापाओग्गत्तनियमो सहावणिबद्धो ति एसो एदस्त भावत्थो ।
* एसा छसु आवलियासु गदासु उदीरणा त्ति सण्णा ।
$ १६०. गयत्थमेदं पुव्वसु त्तत्थोवसंहारवक्कं । संपहिएदस्सेवत्थस्स णिण्णयकरण किंचि कारणंतरं परूवेमाणो उत्तरं पबंधमाह-
* केण कारणेण छसु आवलियासु गदासु उदीरणा भवदि ।
$ १६१. पुव्वं बंधावलियादिक्कंतसमये चैव पयट्टमाणा उदीरणा केण कारणेण एदम्मि विसये छसु आवलियासु गदासु पयट्टदि त्ति एसो एत्थ पुच्छा हिप्पाओ ।
* णिदरिसणं ।
$ १६२. छसु आवलियासु गदासु उदीरणा त्ति एदस्सत्थस्स णिण्णयकरणङ्कं उदीरणाके लिए शक्य रहता आया है इस प्रकार यहाँ पर शक्य नहीं है । किन्तु अन्तर किये जाके प्रथम समय से लेकर जो कर्म बँधते हैं मोहनीय या मोहनीय के अतिरिक्त अन्य ज्ञानावरणादिक वे कर्म छह आवलियोंके व्यतीत होनेके बाद उदीरणाके लिये शक्य होते हैं । बन्ध समयसे लेकर जब तक पूरी छह आवलियाँ व्यतीत नहीं होती हैं तब तक उनकी उदीरणा होना शक्य नहीं है यह उक्त कथनका तात्पर्य है । जिस प्रकार अन्तरकरणके पूर्व सर्वत्र बन्धावलिके व्यतीत होनेके बाद बद्ध कर्म उदीरणाके योग्य होता है यह नियम स्वभावसे प्रतिबद्ध है उसी प्रकार इस स्थल पर भी बन्धसमय से लेकर छह आवलि व्यतीत होनेके बाद बद्ध कर्म उदीरणाके योग्य होता है यह नियम स्वभावसे प्रतिबद्ध है यह इस सूत्र का भावार्थ है ।
* इसकी छह आवलियोंके जानेपर उदीरणा यह संज्ञा है ।
$ १६०. पूर्व के सूत्र के अर्थका उपसंहार करनेवाला यह सूत्रवाक्य गतार्थ है । अब इसी अर्थका निर्णय करनेके लिये किंचित् कारणान्तरका कथन करते हुए आगेके प्रबन्धको कहते हैं
* किस कारण से छह आवलियोंके व्यतीत होनेपर उदीरणा होती है ?
$ १६१. पहले बन्धावलिके बादके समय में ही प्रवृत्त होनेवाली उदीरणा इस स्थलपर किस कारण से छह आवलियोंके व्यतीत होनेपर प्रवृत्त होती है यह यहाँपर की गई पृच्छाका अभिप्राय है ।
* प्रकृत विषयके समर्थन में निदर्शन ।
$ १६२. छह आवलियोंके व्यतीत होनेपर उदीरणा होती है इस प्रकार इस अर्थका