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गाथा ११५ ]
संजदासंजदस्स कज्जविसेसपरूवणा
$ ४४. संपहि सत्थाणविसोहीए पदिदस्स संजदासंजदस्स जहा ट्ठिदि-अणुभागघादा णत्थि, किमेवं गुणसेढिणिज्जराए वि णत्थि संभवो आहो अस्थि त्ति पुच्छिदे तणिण्णयकरणमुत्तरसुत्तं भणइ
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* जाव संजदासंजदो ताव गुणसेढिं समए समए करेदि ।
$ ४५. जाव संजदासंजदो होदूण चिट्ठदि ताव समए समए असंखेज्जे समयपबद्धे ओकड्डियूण गुणसेढिणिज्जरं करेदि, ण तत्थ पडिसेहो अस्थि त्ति वृत्तं हो । किं कारणमेवं होदि त्ति चे १ ण, संजमा संजमगुणसेढिणिबंधणाए गुणसेटिणिज्जराए जाव सो गुणो ण फिड्डदि ताव पवृत्तीए बाह्राणुवलंभादो । तदो संजदासंजदगुणसेढिणिज्जरा कालो जहणणेणंतोमुहुत्तमेतो, उक्कस्सेण देसूणपुव्वकोडिमेत्तो त्ति घेत्तव्वो । किं पुण एदम्मि काले गुणसेढिणिज्जरं कुणमाणो संकिलेसविसोहिअद्धासु सव्वत्येवाविसेसेण असंखेज्जगुणं पदेसग्गमोकड्डियूण समये समये गुणसेटिं करेदि, किमाहो संकिलेस - विसोहीसु परियत्तमाणस्स संकिलेसकाले हीयमाणो विसोहिकाले च वडमाणो गुणसेढिणिक्खेवो होदि ति एदिस्से पुच्छाए णिरागीकरणमुत्तरमुत्तविण्णामो
$ ४४. अब स्वस्थान विशुद्धिसे गिरे हुए संयतासंयत के जिसप्रकार स्थितिघात और अनुभागघात नहीं होते, क्या इसप्रकार गुणश्रेणिनिर्जरा भी सम्भव नहीं है या सम्भव है ऐसा पूछने पर उसका निर्णय करनेके लिये आगे सूत्रको कहते हैं
* किन्तु जब तक संयतासंयत है तब तक समय-समय में गुणश्रेणिको करता है । $४५. जब तक संयतासंयत होकर रहता है तब तक समय-समय में असंख्यात समयप्रबद्धोंका अपकर्षणकर गुणश्रेणिनिर्जरा करता है, वहाँ उसका निषेध नहीं है यह उक्त कथनका तात्पर्य है |
शंका- ऐसा होता है इसका क्या कारण है ?
समाधान — नहीं, क्योंकि जब तक संयमासंयम गुण नष्ट नहीं होता तब तक संयमासंयम गुणश्रेणिनिमित्तक गुश्रेणिनिर्जराकी प्रवृत्ति में कोई बाधा नहीं उपलब्ध होती ।
इसलिये संयतासंयत गुणश्रेणिनिर्जराका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट का कुछ कम एक पूर्वकोटिप्रमाण है ऐसा ग्रहण करना चाहिए। तो क्या इस काल में गुणश्रेणिनिर्जरा करता हुआ संक्लेशके कालमें और विशुद्धिके काल में सर्वत्र ही सामान्यरूपमें असंख्यातगुणे प्रदेशपुञ्जका अपकर्षण कर समय-समय में गुणश्रेणि करता है या क्या संक्लेश और विशुद्धि में परिवर्तन करनेवाले उक्त जीवके संक्लेशकालमें घटता हुआ और विशुद्धि कालमें वृद्धिंगत गुणश्रेणिनिक्षेप होता है इस प्रकार इस पृच्छाके निराकरण करनेके लिये आगे सूत्रका विन्यास है
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